शादी के मार्केट में कोई मोल नही है वकीलों का, कोई भी अपनी बेटी नही देना चाहता
शादी के मार्केट में कोई मोल नही है वकीलों का, कोई भी अपनी बेटी नही देना चाहता
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नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया टीएस ठाकुर ने कहा कि वकीलों के लिए दुल्हन मिलना मुश्किल है, वकीलों को खासकर कोई अपनी बेटी नही देना चाहता है। ठाकुर बार काउंसिल ऑफ इंडिया के एक कार्यक्रम में पहुंचे थे। तभी उन्होने कहा कि शादी के बाजार में वकीलों का कोई मोल नहीं। शादियों के बाजार में वह कहेंगे कि आपका बेटा आईएएस है, तो ओके यस। आईएफएस, आईपीएस और कुछ कहेंगे तो वह कहेंगे यस। लेकिन जैसे ही आप कहेंगे कि वह वकील है, वे कहने लगेंगे नहीं-नहीं।

लिहाजा, आप अपनी वैल्यू बढ़ाएं, पेशे में आना मुश्किल बनाएं तो यकीनन शादियों का बाजार भी सुधरेगा। उन्होने कहा कि एक वक्त ऐसा भी था जब कहीं भी एडमिशन न मिलने पर लोग एलएलबी कर लेते थे। आज देश में कुल 20 लाख वकील है। भीड़ बढ़ गई है, जिससे स्तर गिरता जा रहा है। 

बार काउंसिल कह सकता है कि हमारे पास पर्याप्त वकील हैं, लेकिन आप किसी को भी वकील बनने से नहीं रोक सकते। आपको स्तर ऊंचा उठाना होगा। मापदंडों का स्तर उठाना होगा। फिर कौन कहेगा कि हर थर्ड डिविजन मार्क्स लाने वाला उम्मीदवार वकील बन सकता है। उसे क्लर्क बनने दीजिए या उसे कुछ और बनने दीजिए। कहीं और स्वीकार न किए गए व्यक्ति को बार में जगह क्यों मिलनी चाहिए।

मुख्य न्यायधीश ने कहा कि कई ऐसे लॉ कॉलेज है, जहां आपको फैकल्टी नहीं मिलते। लाइब्रेरी न हो या हाजिरी नहीं ली जाती हो। मुझे यकीन है कि कई लॉ कॉलेज हैं, जहां आप जाइए और फीस जमा कीजिए। बाकी बातों का ध्यान वह रख लेंगे। कानूनी पेशा या आप इस स्थिति को कैसे सहन कर सकते हैं? मुझे यकीन है कि बार काउंसिल ऑफ इंडिया की जिम्मेदारी बड़ी है। बार काउंसिल को इस तरह की दुकानों को बंद करवा देना चाहिए। मुझे यकीन है कि एडमिशन का स्टैंडर्ड बढ़ाया जाएगा।

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