ज़िंदा रहते कोई नहीं आया, वृद्धाश्रम में गुजारा जीवन, अब मरने के बाद हिस्से के लिए आ गए बेटे
ज़िंदा रहते कोई नहीं आया, वृद्धाश्रम में गुजारा जीवन, अब मरने के बाद हिस्से के लिए आ गए बेटे
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गाजीपुर: यूपी के गाजीपुर से एक अनोखी घटनाक्रम सामने आई है। यहां डेढ़ वर्षों से वृद्धाश्रम में रह रहे वृद्ध की मौत के पश्चात् पता चला है कि उसका भरा पूरा परिवार भी है। बेटे और बेटियां शव पर अधिकार के लिए लड़ रहे हैं। यह वही बेटे बेटियां हैं, जिन्हें पिछले डेढ़ वर्षों में वृद्ध की खोज खबर लेने का भी प्रयास नहीं किया। अब उनकी मौत के बाद उनके वारिसाना अधिकार के लिए सब रिश्ते जोड़ने का प्रयास कर रहे हैं। मामला बाराचवर ब्लाक के परानपुर गांव का है। फिलहाल वृद्धाश्रम प्रबंधन ने परिवार को शव देने से मना कर दिया है।

प्राप्त खबर के अनुसार, इस गांव में रहने वाले श्रीराम यादव की 18 बीघे जमीन थी। लगभग 2 वर्ष पहले उनके बेटे एवं बेटियों ने उन्हें सब्जबाग दिखाकर यह जमीन अपने नाम करा ली थी। हालांकि श्रीराम यादव ने उस वक़्त सिर्फ 6 कट्ठा जमीन अपने पास रख ली थी। इधर, जमीन नाम से होते ही बेटे एवं बेटियों ने श्रीराम यादव को बेसहारा छोड़ दिया। ऐसे में लगभग डेढ़ वर्ष पहले दुखी होकर वह खुदखुशी के इरादे से घर निकले, मगर किसी ने उन्हें वृद्धाश्रम पहुंचा दिया। तब से वह यहीं पर रह रहे थे।

वृद्धाश्रम की संचालिका ज्योत्सना सिंह ने बताया कि इन डेढ़ सालों में उनके परिवार का कोई भी शख्स उनकी खोज खबर लेने नहीं आया। ऐसे में श्रीराम यादव भी घुट घुटकर जीत रहे। वह अक्सर गुमसुम रहते एवं खाना भी अकेले में खाते। वह जीवन के आखिरी पलों में यह रह रहे वृद्ध लोगों से थोड़ा बहुत मेल जोल रखने लगे थे। इसी बीच उनकी तबीयत बिगड़ गई तथा उन्हें हॉस्पिटल में एडमिट कराया गया। इस के चलते उन्होंने अपनी बेटी से मिलने की इच्छा जताई। ज्योत्सना सिंह ने बताया, उन्होंने तुरंत पुलिस की सहायता से उनकी बेटी को सूचित कर दिया, मगर उसे बेटी ने आने से इंकार कर दिया।

वही इसी बीच बृहस्पतिवार की रात श्रीराम यादव की मौत हुई। इसकी खबर प्राप्त होते ही बेटे एवं बेटी सभी हॉस्पिटल पहुंच गए एवं आखिरी संस्कार के लिए शव मांगने लगे। इस के चलते भी इनके दोनों बेटे और एक बेटी में से कोई भी हॉस्पिटल की सीढ़ियां चढ़ कर पहली मंजिल पर रखे शव तक आने का प्रयास नहीं किया। पड़ताल के चलते पता चला कि यह सभी लोग श्रीराम यादव के नाम से पड़ी छह कट्ठा जमीन को हथियाने के इरादे से यहां तक आए हैं। उनकी इच्छा है कि अंतिम संस्कार कर वह श्रीराम यादव का वारिसाना अधिकार हासिल कर लेंगे। ऐसे में उन्होंने भी फिलहाल तय किया है कि प्रशासन की तरफ से उचित फैसला होने तक उन्हें शव नहीं दिया जाएगा।

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