सबसे अहम और ख़ास रहा नीरजा भनोट का बलिदान, भूल नहीं सकता कोई
सबसे अहम और ख़ास रहा नीरजा भनोट का बलिदान, भूल नहीं सकता कोई
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आज ही के दिन नीरजा भनोट ने मौत को गले लगाया था लेकिन अब तक लोग उन्हें भुला नहीं पाए हैं. नीरजा भनोट एक ऐसी लड़की थीं जिन्होंने यह साबित कर दिया था कि लडकियां किसी भी मामले में लड़कों से कम नहीं होती हैं. नीरजा भनोट आतंकवादियों से भिड़ गई थीं और उनकी वजह से 360 लोगों की जान बच पाई थी. इस दौरान नीरजा भनोट खुद को तो नहीं बचा पाईं लेकिन उनके काम के लिए आज भी दुनिया उन्हें याद करती है. नीरजा भनोट को उनके माता-पिता प्यार से ‘लाडो’ कहा करते थे. उन्होंने अपनी बहादुरी और साहसी कारनामे से लोगों के दिलों में जगह बनाई है और आज भी वह सभी की लाड़ली है. वैसे आप जानते ही होंगे नीरजा भनोट के जीवन पर फिल्म भी बनी है जिसमे उनका किरदार अभिनेत्री सोनम कपूर ने निभाया था. उस दौरान सोनम को देखते ही नीरजा की मां भावुक हो गईं थीं और उन्होंने कहा था, ‘ये तो मेरी लाडो ही हैं.’

अब आइए जानते हैं क्या हुआ था नीरजा भनोट के साथ. जी दरअसल यह 5 सितंबर 1986 को पैन एम (Pan Am) फ्लाइट की अटेंडेंट नीरजा थीं. उस समय टिकट सारे बुक थे और लोग विमान में बैठकर मुंबई से अमेरिका जा रहे थे. उसी दौरान पाकिस्‍तान के कराची में विमान को चार हथियार बंद लोगों ने हाइजैक कर लिया. जी दरअसल उनकी कोशिश अमेरिकियों को निशाना बनाने की थी. जिस समय पैन एम उड़ान-73 को कराची में हाइजैक किया गया उस समय विमान में कुल 380 यात्री थे. उस दौरान हाइजैकर विमान को इजरायल ले जाना चाहते थे और वह चाहते थे कि किसी बिल्‍डिंग से क्रैश करवा दिया जाए. कराची में जब आतंकी विमान में आए तो उन्‍होंने यात्रियों के स्‍वागत के लिए प्रवेश द्वार पर खड़ी नीरजा को बालों से खींचा. जैसे ही नीरजा को खतरे का आभास हुआ उन्होंने तुरंत इंटरकॉम पर विमान के कॉकपिट क्रू को ‘हाइजैक कोड’ के जरिए जानकारी दी. उसके बाद कॉकपिट के इमरजेंसी गेट से तुरंत कॉकपिट क्रू बचकर निकल गए. करीब 17 घंटे तक नीरजा व क्रू के अन्‍य सदस्‍य ने यात्रियों को बचाने का पूरा प्रयास किया. उस दौरान विमान में कुल 41 अमेरिकी शामिल थे जिनमे से दो की जान हाइजैकर्स ने ले ली.

उसके बाद हाइजैकर्स ने नीरजा से कहा कि 'वे सभी यात्रियों का पासपोर्ट जमा करें ताकि अमेरिकियों की पहचान की जा सके. लेकिन नीरजा ने काफी चालाकी से सभी पासपोर्ट छिपा दिए.' वहीँ जैसे ही हाइजैक की सूचना पायलट और को-पायलट को मिली दोनों अपनी अपनी जान बचाकर भाग निकले. अकेली रह गईं नीरजा जो विमान में सबसे आखिर तक दूसरों की जान बचाती रहीं. कहा जाता है इस हादसे में उनकी जान चली गई लेकिन उन्होंने यात्रियों को बचा लिया. नीरजा का जन्मदिन 7 सितंबर को आता है और उनके 23वें जन्‍मदिन के कुछ घंटे पहले ही उन्हें आतंकियों ने गोलियों से छलनी कर डाला.

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