कालरात्रि के रूप में होता है मां कालि का पूजन
कालरात्रि के रूप में होता है मां कालि का पूजन
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नवरात्रि के सातवें दिन माता की काल रात्रि के तौर पर पूजा की जाती है। माता काल रात्रि को काल अर्थात् मृत्यु की देवी कहा जाता है। माता साक्षात् महाकाली मां हैं। इनकी शक्ति बहुत ही दीव्य है। माता के केश खुले हुए हैं और माता के हाथ में फरसा संहारक अस्त्र हैं। एक हाथ से माता वर मुद्रा और एक हाथ से अभय मुद्रा में आशीर्वाद देती हैं। माता के एक हाथ में संहारक अस्त्र है। माता को कलारात्र्यै नमः मंत्र से जप किया जाता है।

माता नवरात्रि के सातवें दिन विशेषतौर पर पूजी जाती हैं। मां काली की आराधना इस दौरान प्रमुखतौर पर की जाती है। माता स्वच्छता पसंद करती हैं। मां का यह स्वरूप शिक्षा देता है। कि जीवन में दुख, मौत, क्षय, विनाश आदि आता रहता है। माता के इस स्वरूप से जीवन जीने की प्रेरणा मिलती है। माता के गले में एक माला है जो विद्युत की तरह चमकती है। मां अपने श्वास से अग्नि की ज्वालाऐं निकालती हैं। माता की उपासना से ब्रह्मांड की सभी सिद्धियां प्राप्त हो जाती हैं। सभी बाधाओं से व्यक्ति मुक्त हो जाता है और भूत, प्रेत और अन्य बाधाऐं नष्ट हो जाती हैं। माता के तीन नेत्र हैं। 

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