मोदी सरकार में बड़े प्रोजेक्ट्स को लगा झटका
मोदी सरकार में बड़े प्रोजेक्ट्स को लगा झटका
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मोदी सरकार के पहले 10 महीनों की बात की जाए तो इस दौरान ऐसे प्रॉजेक्ट्स की संख्या काफी बढ़ गई है, जिन पर या तो काम बंद पड़ा है या जो योजनाए अब बीच में ही बंद हो गई है। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकनॉमी (सीएमआईई) ने बताया कि 31 मार्च 2015 को खत्म फाइनैंशल ईयर में 363 प्रॉजेक्ट्स रुके हुए है। वहीं 2013-14 में ऐसे प्रोजेक्टस की संख्या 341 थी। हालांकि, अच्छी बात यह है कि रिवाइव्ड प्रॉजेक्ट्स की संख्या बढ़ गई है। जहां यूपीए सरकार के कार्यकाल के दौरान 2013-14 में कंपनियों ने 69 प्रॉजेक्ट्स को छोड़ दिया था, वहीं बीजेपी के शासन काल में इनकी संख्या बढ़कर 101 हो गई है।

सीएमआईई के डायरेक्टर महेश व्यास ने बताया, 'रुके हुए प्रॉजेक्ट्स की संख्या बढ़ी है। संख्या के साथ प्रॉजेक्ट्स कौन से हैं, इससे भी काफी फर्क पड़ता है। डेटा से पता चलता है कि कई बड़े प्रॉजेक्ट्स पर काम अब भी नहीं हो रहा है। नई सरकार से कई उम्मीदें थीं, लेकिन बिजनस इनवाइरनमेंट में कोई बदलाव नहीं आया है। सच तो यह है कि कॉरपोरेट प्रॉफिटैबिलिटी में काफी गिरावट आई है। इंडस्ट्री बड़े प्रॉजेक्ट्स पर काम टाल रही है।

सीएमआईई के मुताबिक, छोड़े गए प्रॉजेक्ट्स वे हैं, जिनसे प्रमोटर्स किनारा कर चुके हैं इन प्रोजेक्ट्स के बंद होने का मुख्य कारण रेग्युलेटरी क्लीयरेंस नहीं मिलने, फाइनैंसिंग की दिक्कतों और खराब मार्केट कंडीशन बताया गया है । हालांकि व्यास ने ये भी बताया की नई सरकार के कार्यकाल में प्रॉजेक्ट्स का रिवाइवल की संख्यामें इजाफा हुआ है। 2013-14 में इनकी संख्या 119 थी, जो 2014-15 में बढ़कर 161 हो गई।

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