घर का मसला बन रहा है विकास में रुकावट
घर का मसला बन रहा है विकास में रुकावट
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ये हमारे घर का मामला है, इसलिए आप दखल न दे. मगर ये बताइये कि आपका घर का मसला पड़ोसियों को परेशान कर रहा है, अब आप क्या कहेगे, ऐसी स्थिति में एक्शन लेना तो जरूरी है. ऐसी ही कुछ बात है इस्लाम धर्म के अनुयायियों की. भारत जैसे प्रगतिशील देश में वह अल्पसंख्यक है, किन्तु अपनी मिट्टी और सरजमीं से उन्हें बहुत मोहब्बत है. काफी समय से मुस्लिम महिलाओ से जुड़े मुद्दे सामने आ रहे है, जैसे ट्रिपल तलाक, हलाला. इनसे जुड़े जितने भी केसेस मीडिया में आये है, उसे जान कर यही लगता है कि क्या एक धर्म जो कहता है इस्लाम में हर कोई बराबर है, छूत-अछूत नहीं है, वह महिलाओ को मुलभुत अधिकारों से वंचित रखेगा.

ट्रिपल तलाक जिसमे शौहर अपनी पत्नी को जब चाहे तीन बार मुंह से तलाक बोल कर शादी जैसे रिश्ते को खत्म कर देता है और इसके बदले में महिला को कुछ नहीं मिलता, वह घर से बेदखल हो जाती है, उसका भविष्य अंधेरे में चला जाता है. इस कारण विकास में रुकावट पैदा हो रही है. यदि देश को आगे बढ़ना है तो सभी समुदाय की प्रगति पर ध्यान देना जरूरी है. पुरुषो के इस मनमाने रवैये को खत्म करने के लिए इस प्रथा पर प्रतिबंध लगाने की याचिका दी गई, तब इस्लाम धर्म दोबारा चर्चा में आ गया. इस प्रथा के चलते मुस्लिम समुदाय की बहुत आलोचना हुई और हो रही है. मगर क्या वह धर्म जिसकी शुरुआत महिलाओ के अधिकार से हुई, वह इस तरह का अन्याय और अनुचित व्यवहार महिलाओ के साथ करेगा. इसका जवाब है न, इस्लाम के अनुसार तलाक शौहर और बीवी को बैठा कर गवाहों के साथ ही होता है, इसमें वहीं प्रक्रिया होती है जो हिन्दू विवाह एक्ट में कोर्ट में होती है, तलाक का उचित कारण बताना होता है, शादी को बचाने के लिए काउंसलिंग और समय दिया जाता है. इस्लाम तो महिलाओ को अधिकार देता है, मगर अज्ञानता के चलते, जागरूकता की कमी के चलते पुरुष महिलाओ का शोषण कर रहे है.

मुंह से बोले जाने वाले एकतरफा तलाक के केस उत्तरप्रदेश राज्य में अधिक है, जहां मुस्लिम आबादी अधिक है. उत्तरप्रदेश में मुस्लिम आबादी भी अधिक है और मुस्लिमो में शिक्षा की भी कमी है. राज्य में दो तरह के लोग मिलेंगे जो या तो पढ़े लिखे है और या तो ऐसे लोग जिन्होंने दुनियाई शिक्षा की जानकारी भी नहीं है न ही दीनी तालीम की जानकारी है. जो सुनी सुनाई बातो को मज़हब की शिक्षा और अधिकार मानते है, ऐसा ही कुछ ट्रिपल तलाक को लेकर होता है. जो महिलाएं अपने अधिकारों के प्रति जागरूक होती है वह पुरुषो को धूल तक चटा देती है. एक ऐसा ही केस सामने आया था जब एक पुरुष के तीन तलाक बोलने पर बीवी ने उसकी जूते-चप्पल से धुनाई कर दी. बहरहाल एक भ्रम के चलते महिलाओ के भविष्य के साथ खिलवाड़ तो हो रहा है, इस पर एक्शन लेना जरूरी है. धर्म को बदनाम न करते हुए एक नया कानून लाना जरूरी है, जो इंसानियत की खातिर महिलाओ को सुरक्षा प्रदान करे. जब तक पुरुषो को कानून का डर नहीं होगा तब तक वह सिर्फ यही कहेगे कि हमारे घर का मसला है इसमें दखल न दे, भले ही घर के मुखिया ने महिलाओ को पूरा अधिकार दिया है मगर वह महिला अपने अधिकारों का उपयोग नहीं कर पा रही है. स्थिति ये है कि जब पड़ोसी दखल देगा, तब ही आप शोषण करना बंद करेंगे.

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