सरकार के खिलाफ गौरक्षकों का आंदोलन
सरकार के खिलाफ गौरक्षकों का आंदोलन
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18 फरवरी को गौ-माता प्रतिष्ठा आंदोलन दिल्ली के रामलीला मैदान में सरकार के खिलाफ आंदोलन करने की तैयारी में है. इस आंदोलन में गौरक्षा के लिए किये गए पुराने वादे नहीं निभाने के आरोप के साथ सरकार की सुस्ती को जाहिर किया जाने वाला है. गौरक्षा की मांगों में गाय की प्रजाति को सुरक्षा से लेकर गोपालमणि महाराज द्वारा राष्ट्रमाता घोषित करने की मांग तक शामिल है. आरोप है कि बीजेपी सांसद हेमा मालिनी सहित बीजेपी और संघ के बड़े-बड़े नाम बड़े एलान करके जा चुके हैं. सरकार और सांसद सभी गाय के नाम पर साथ आये तो सही लेकिन गोपालकों के लिए कुछ नहीं किया जिसके लिए अब गोपालक सरकार के खिलाफ खड़े हुए है. इसी से जुड़े गोपालमणि महाराज कहते हैं कि लगभग चार साल के दौरान इस सरकार ने गोबर, गोमूत्र, गोबर गैस, गोबर की खाद पर इंसेंटिव देने की नीति पर कोई काम नहीं किया है. 

गोपालमणि महाराज ने आगे कहा कि प्रधानमंत्री की बड़ी-बड़ी बातों और लंबे चौड़े दावों के बाद उनके सचिव के जरिये एक पत्र पीएम नरेंद्र मोदी को भेजा है. अब तक तो उसका कोई जवाब आया नहीं. अब 18 फरवरी की रैली में सरकार से मांग की जाएगी कि 2019 के आम चुनाव से पहले गाय संरक्षण और कल्याण के लिए अलग से मंत्रालय बनाया जाए.

महाराज ने कहा कि गाय सदियों से हमारी अर्थव्यवस्था और सामाजिक व्यवस्था की रीढ़ रही है लेकिन अंग्रेजों के प्रभाव की वजह से सरकारें इससे उदासीन हो गई हैं. इतिहास गवाह है कि मुगल शासकों ने भी अपने वारिसों से यही कहा था कि भारत में अपनी जड़ें जमानी हैं तो गाय के साथ छेड़छाड़ नहीं करनी होगी. इस सवाल पर महाराज ने कहा कि हमारा आंदोलन इसी को लेकर है कि सरकार और समाज में गायों के लाभ को लेकर संवेदना जगे. गाय सिर्फ दुधारू पशु ही नहीं है.

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