प्रधानमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी ने अपने प्रथम वर्ष में 17 देशों की यात्रा की है, जिसमें वर्तमान चीन दौरा भी शामिल है। इसके साथ ही 365 दिनों में वे 53 दिन विदेश में रहे। इसी तरह पूर्ववर्ती प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने अपने दूसरे कार्यकाल के प्रथम वर्ष में 12 देशों की यात्रा की और 47 दिन विदेश में रहे। अपने प्रथम कार्यकाल के प्रथम वर्ष में वह 30 दिन विदेश में रहे। मोदी ने 26 मई 2014 को अपने शपथ ग्रहण समारोह में आठ पड़ोसी देशों के नेताओं को आमंत्रित कर एक सक्रिय विदेशी नीति अपनाने का संकेत दिया था। यहां दोनों ही प्रधानमंत्रियों के विदेश दौरे से संबंधित गतिविधियों की एक तुलना पेश की जा रही है, जिससे पता चलता है कि इस मोर्चे पर मोदी मनमोहन से अधिक सक्रिय रहे हैं।
दूसरे देश के नेताओं की भारत यात्रा के संदर्भ में मोदी के प्रथम वर्ष में 23 देशों के नेताओं ने भारत का दौरा किया। दूसरी ओर मनमोहन सिंह के प्रथम और दूसरे कार्यकाल के प्रथम वर्ष में यह संख्या क्रमश: 30 और 29 रही। मोदी के प्रथम वर्ष में 26 मई से 31 दिसंबर 2014 के बीच 57 द्विपक्षीय तथा अन्य समझौतों पर हस्ताक्षर हुए। वहीं मनमोहन सिंह के प्रथम और दूसरे कार्यकाल के प्रथम वर्ष में यह संख्या 22 मई से 31 दिसंबर 2004 के बीच 22 और 22 मई से 31 दिसंबर 2009 के बीच 37 रही। अन्य देशों को भारतीय सहायता के संदर्भ में मोदी के प्रथम वर्ष में 15.84 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई।
सिंह के दूसरे कार्यकाल के प्रथम वर्ष में इसमें 10.81 फीसदी गिरावट और प्रथम कार्यकाल के प्रथम वर्ष में इसमें 29.32 फीसदी वृद्धि दर्ज की गई थी। प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के संदर्भ में साल-दर-साल आधार पर मोदी के प्रथम वर्ष में 18.58 फीसदी वृद्धि हुई। सिंह के प्रथम कार्यकाल के प्रथम वर्ष में इसमें 47.12 फीसदी वृद्धि रही थी, जबकि दूसरे कार्यकाल के प्रथम वर्ष में इसमें 17.72 फीसदी गिरावट दर्ज की गई थी। विदेशी मुद्रा भंडार के संदर्भ में साल-दर-साल आधार पर मोदी के प्रथम वर्ष में 12.29 फीसदी वृद्धि दर्ज की गई।
वहीं सिंह के दोनों कार्यकालों के प्रथम वर्ष में इसमें क्रमश: 5.46 फीसदी और 26.17 फीसदी वृद्धि रही थी। डॉलर मूल्य में निर्यात और आयात के संदर्भ में साल-दर-साल आधार पर मोदी के प्रथम वर्ष में क्रमश: 1.23 फीसदी और 0.5 फीसदी गिरावट रही। वहीं सिंह के दूसरे कार्यकाल के प्रथम वर्ष में इसमें क्रमश: चार फीसदी और पांच फीसदी गिरावट रही थी। मुंबई विश्वविद्यालय में अंतर्राष्ट्रीय राजनीति की प्रोफेसर उत्तरा सहस्रबुद्धि के मुताबिक मोदी के नेतृत्व में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार ने देश की विदेश नीति को एक उद्देश्य और दिशा दी है।
वहीं संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के दूसरे कार्यकाल में यह दिखाई नहीं पड़ती है। सहस्रबुद्धि ने कहा कि सिंह के प्रथम कार्यकाल में विदेशी नीति की मुख्य उपलब्धि थी भारत-अमेरिका परमाणु समझौता। दूसरे कार्यकाल में विदेश नीति में कोई दिशा नहीं दिखी। (एक गैर लाभकारी, जनहित पत्रकारिता मंच, इंडियास्पेंड डॉट ऑर्ग के साथ एक व्यवस्था के तहत। चैतन्य मल्लपुर नीति विश्लेषक हैं। यहां प्रस्तुत विचार उनके अपने हैं।)