मोदीजी के जिस विशेष आर्थिक विजन की बात सरकार और भाजपा की ओर से खूब की जाती है | उसके सबसे प्रमुख अंग हैं :- स्किल इंडिया, मेक इन इंडिया और मुद्रा बैंक | हम कैरियर के सन्दर्भ में उनकी खास चर्चा इसलिए कर रहे हैं क्योंकि, उनके कारण करोड़ों रोजगार के अवसर बनेंगें और एक ऐसे बड़े क्षेत्र की ओर उनके जरिये सरकार सबका ध्यान खींचना चाह रही है, जहाँ करोड़ों लोगों के लिए अच्छे रोजगार मिल सकते हैं | इस लेख श्रंखला के पहले अंक में हमने स्किल इंडिया के बारें में और दूसरे अंक में 'मेक इन इंडिया' के बारे में बताया था | अब हम यहाँ 'मुद्रा बैंक' के बारें में सभी उपयोगी जानकारियां दे रहे हैं और साथ ही इसका शेष दो से या यों कहें की इन तीनों योजनाओं का एक-दूसरे से सम्बन्ध भी बता रहे हैं |
मुद्रा बैंक का पूरा नाम: 'मुद्रा' यह एक बड़े अंग्रेजी नाम का छोटा रूप (MUDRA) है | पूरा नाम है- माइक्रो यूनिट्स डेवलपमेंट रेफायनेंसिंग एजेंसी अर्थात सूक्ष्म इकाईयों के विकास हेतु पुनर्वित्त देने वाली बैंक |
क़ानूनी स्थिति और आर्थिक शक्ति: मुद्रा बैंक की स्थापना एक विशेष कानून के जरिये की जा रही है | अतः यह कानूनन साधारण बैंकों से अधिक सशक्त बैंक होगी जो अन्य बैंकों को पुनर्वित्त देगी तथा उनके कामकाज का अपने उद्धेश्यों के अनुरूप नियमन करेगी | इसे 20000 करोड़ के कार्पस फण्ड (संचित निधि) के साथ शुरू किया गया है और 3000 करोड़ का क्रेडिट गारंटी फण्ड अलग से दिया गया है |
लक्षित वर्ग या समूह: देश में इस समय 5.77 करोड़ सूक्ष्म व लघु इकाइयाँ चल रही हैं; इनमें से केवल ४% को ही बैंक आदि से संस्थागत कर्ज की सुविधा मिली है | ‘मुद्रा’ के लिये यह पहले से ही मौजूद करोडो हितग्राहियों का बड़ा समूह है | साथ ही, मुद्रा बैंक का यह भी प्रयास होगा कि नये शिक्षित और हुनरमंद युवा स्वयं की इकाइयाँ शुरू करें और बिना सिक्यूरिटी दिये भी लोन प्राप्त कर सकें; ऐसे करोड़ों नव-उद्धमी भी इसके लक्षित समूह में होंगे |
जिम्मेदारियां अथवा कार्य: मुद्रा बैंक निम्न प्रकार के कार्य करेगा या इनके लिये जिम्मेदार होगा:
इसके अलावा लघु व्यवसाय इकाइयों की पहुँच भी संस्थागत ऋण तक हो सके और उन पर कर्ज का बोझ अधिक न पड़े, इसके लिये उत्तरदायी वित्तीय प्रक्रिया व व्यवहार तय करना | कर्ज उगाही की प्रक्रिया भी ऐसी बनाना जिससे उद्धमी/ ऋणी की उचित सुरक्षा हो सके | ऐसी मानक व्यस्था बनाना कि जिससे आखिरी छोर पर मौजूद छोटे हितग्राही तक ऋण सुविधा समुचित पहुंचे और उसके लिये तकनिकी समाधानों का भी उपयोग करना | ऐसे ऋण देने वाले संस्थानों के ऋण की सुरक्षा के लिये एक ‘क्रेडिट गारंटी स्कीम’ चलाना और ‘प्रधानमंत्री मुद्रा योजना’ का भी समुचित संचालन करना | इस योजना में भी अ.जा./ ज.जा. व अन्य पिछड़े वर्गों को प्राथमिकता मिलेगी |
विकास या कार्य के स्तर अनुसार उद्धमों को तीन श्रेणियों में बांटकर ऋण सुविधा उपलब्ध होगी:
इस विवरण से यह स्पष्ट है कि मुद्रा बैंक की पूरी योजना, हर तरह से छोटे उद्धमियों या व्यवसायिओं के हितों का ध्यान रखकर बनाई गयी है | अब युवाओं या किसी को भी लघु उद्धम के क्षेत्र में आने या अपने चल रहे कार्य को सुधारने या बढ़ाने के लिये धन की कमी से हिचकिचाने या मन मसोसने की जरुरत नहीं है | करोड़ो नये उद्धमियों के लिये इस क्षेत्र में रोजगार का स्कोप है और वित्त-व्यस्था भी है, यह तो मेहनत से स्वयं का काम चाहने वालों के लिये मुंह मांगी मुराद की तरह है |
तीनों योजनाओं का आपसी सम्बन्ध:
इस लेख श्रंखला में प्रस्तुत तीनों योजनाएं अर्थात स्किल इंडिया, मेक इन इंडिया और मुद्रा बैंक का अलग-अलग भी महत्त्व रखती हैं और एक-दुसरे से जुड़कर भी एक विशेष अर्थ व महत्व वाली हो जाती हैं | स्किल इंडिया का उद्देश्य देश में कौशल या हुनर वाले काम करने वालों की संख्या बढ़ाना है, जबकि मेक इन इंडिया भारत के निर्माण (या वस्तु-उत्पादन) के क्षेत्र को बढ़ावा देने पर केन्द्रित है | स्किल इंडिया से प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले लोग किसी अन्य की नौकरी भी कर सकते हैं और स्व-रोजगार भी अपना सकते हैं | जब वे स्व-रोजागर करना चाहेंगे तो उनके लिये मुद्रा बैंक मददगार होगा | उसी तरह मेक इन इंडिया में विदेशी और बड़ी कंपनियों पर भी सरकार का ध्यान है, लेकिन करोड़ों एमएसएमइ इकाइयाँ व नए छोटे उद्धमी भी उसके फोकस में है | ऐसे उद्धमियों या नए स्व-रोजगार अपनाने वालों के लिये भी मुद्रा बैंक मददगार होगी | इस तरह देखा जाये तो तीनों योजनाये एक दुसरे की पूरक है |