भात पूजा है मंगल शांति का अचूक उपाय
भात पूजा है मंगल शांति का अचूक उपाय
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मंगल देव को देवों का सेनापति भी कहा जाता है। ज्योतिषीय मान्यता के अनुसार मंगल एक उग्र ग्रह है। जिनका रक्त वर्ण है। माना जाता है कि यह ग्रह उग्रता प्रधान है। मंगल ग्रह की उत्पत्ति पृथ्वी से ही मानी जाती है इसलिए इन्हें भूमि पुत्र भी कहा जाता है। ज्योतिषीय मान्यता के अनुसार यदि जन्म कुंडली में पांचवे, बारहवें भाव में मंगल हो तो जातक मांगलिक होता है। मांगलिक जातक का विवाह देरी से होता है। ऐसे में उसे मंगल शांति का उपाय करना पड़ता है। मंगल देव की कृपा से मंगल दोष का प्रभाव कम होता है और जातक का विवाह जल्द होता है। विश्व में उज्जैन ही एक मात्र ऐसा क्षेत्र हैं जहां इसका पूजन विधान होता है। मध्यप्रदेश के धार्मिक पर्यटन नगर उज्जैन में मंगल देव का मंदिर है।

जिसे मंगलनाथ के नाम से जाना जाता है। मंगलनाथ मंदिर अतिप्राचीन है जहां शिवलिंग स्वरूप में मंगलनाथ विराजमान है। यहां शिवलिंग का भात पूजन कर मंगल शांति की जाती है। यही नहीं भगवान का कुमकुम और गुलाब या लाल पुष्पों से अभिषेक भी किया जाता है। भात पूजन से मंगल दोष का निवारण हो जाता है। व्यक्ति को इस शांति के बाद नौकरी और विवाह के साथ अन्य परेशानियां नहीं आती। मांगलिक दोष से उत्पन्न जातक का स्वभाव भी क्रोध करने का नहीं रहता । मंगल देव सैन्य, भूमि, विजय आदि के कारक हैं यहां पूजन करने से भूमि संबंधी विवाद भी सुलझ जाते हैं और सैन्य व्यवहार में भी मंगल के पूजन से सफलता मिलती है। 

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