16 दिसंबर आते ही शुभकार्यों पर विराम लग जाता है। ऐसे में लोग विवाह मुहूर्त, गृह प्रवेश आदि शुभ कार्य में ध्यान नहीं देते हैं। इसे मल मास कहा जाता है। दरअसल यह मास ऐसा होता है जब किसी भी प्रकार का शुभ कार्य नहीं किया जाता। भारतीय पंचांग के अनुसार जब सूर्य धनु राशि में प्रवेश करता है तो यह मास शुभ कार्यों के लिहाज से अशुभ माना जाता है। इस स्थिति में अच्छा और शुभ कार्य नहीं होता है। इसे खरमास भी कहते हैं।
यह मास सूर्य की मकर राशि में स्थिति आने पर ही पूर्ण होता है। इस काल में संक्रांति आती है। भारतीय ज्योतिष में मकर संक्रांति की स्थिति उत्तरायण में मानी जाती है। ऐसे में सूर्य धीरे धीरे उत्तर की ओर बढ़ता है। इसी के साथ दिन छोटे होते जाते हैं। सूर्य की धनु राशि में उपस्थिति कुंडली में बेहतर मानी जाती है।
इसका कारण यह है कि अग्नि तत्व राशि धनु में सूर्य का शुभ प्रभाव होता है। यह राशि इसके मित्र बृहस्पति की राशि है। यह सूर्य के सकारात्मक फलों का अधिकारी होता है। खरमास की स्थिति में देवताओं का पूजन किया जा सकता है लेकिन कोई भी नया काम या फिर शादी विवाह आदि नहीं हो पाते हैं। उनके लिए मकर संक्रांति तक ठहरना पड़ता है। ग्रहों के प्रभाव से शुभ कार्यों की सफलता में भी संदेह होता है। जिसके कारण कई तरह के प्रभाव सामने आते हैं।
इस बार इस अवधि के काल मे ंयह माना गया है कि खरमास आज दोपहर 2.40 बजे लग गया है। इसका प्रभाव यह है कि गुरू का प्रभाव कम हो गया है। सूर्य अपने वाहन के स्थान पर गर्दभ यानि गधे की सवारी कर रहे हैं। इसका प्रभाव शुभ कार्यों के लिए नहीं है। जिसके कारण भी शुभकार्य वर्जित किए गए हैं।