हमारे तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने एक रोचक अभियान चलाया हैं डिजिटल इंडिया. इसके अंतर्गत वो सरकारी सेवाओं को इंटरनेट के जरिए जन जन तक पहुचाना चाहते हैं. फिर वो चाहे शहर हो या कहीं दूर छुपा छोटा सा गाँव. लेकिन इस सोशल मीडिया और स्मार्ट फ़ोन्स से सजी दुनिया में इंडिया के साथ साथ हमारे रिश्ते भी डिजिटल होते जा रहे हैं. घर वालों के साथ फुर्सत में बैठ कर बतियाने वाले अनमोल समय का उपयोग अब फेसबुक पर घंटो स्क्रॉल करते हुए बीत जाता हैं. दोस्तों के साथ नुक्कड़ पर गप्पे लगाने और मस्ती के फुव्वारे छोड़ने वाले पल अब ग्रुप चेट में बर्बाद हो रहे हैं. अपने प्यार का इजहार करने वाले फूलों और हैंडमेड कार्डों की जगह डिजिटल स्टिकर्स और चैटिंग इमोजीस ने ले ली हैं. अपने बेटे के साथ गली क्रिकेट खेलने वाला हसीन लम्हा मोबाइल गेम्स में घूम होता जा रहा हैं.
ये हैं डिजिटल रिश्तों का ताना बाना. जो वक़्त के साथ साथ इतना उलझता जा रहा हैं कि उसे सुलझाना नामुनकिन सा लगने लगा हैं. क्या फेसबुक पर मिलने वाली लाइक्स माता पिता के साथ समय बिताने पर मिलने वाले प्यार से ज्यादा जरुरी हो गई हैं? क्या व्हाट्सअप पर अपनों को शुभकामनाएँ देना फ़ोन पर उनकी आवाज सुनाने या आमने सामने शुभकामना देने के अनुभव से ज्यादा मीठा हैं? क्या अपने प्रेमी या प्रेमिका से विडयो चैट पर आई लव यू बोलना आमने सामने आँखों में आखें डाल कर आई लव यू बोलने से ज्यादा रोमांटिक हैं? यदि आप एक बार अपनी कम्प्यूटर स्क्रीन को बंद कर के, अपना मोबाइल स्विच ऑफ कर के और अपनी आखें मूंद कर दिल से इन सवालों का जवाब ढूंढेंगे तो हर सवाल का जवाब होगा नहीं.
इसके पहले कि ये रिश्तें हमारे इंटरनेट पैक की तरह एक्सपायर हो जाए. हमे प्यार का लाइफ टाइम रिचार्ज करना होगा. डिजिटल दुनियां से बाहर निकल कर रियल दुनियां में आना होगा. रिश्तों में फिर से अपनेपन का क्षोंक झोंकना होगा. यदि आप इस दुविधा में हैं कि इसकी शुरुआत कहाँ से और कैसे करे? तो चिंता ना करें. बस आगे पढ़ते रहिए.
हमें उम्मीद हैं की आप इन टिप्स को अपना कर अपने डिजिटल रिश्तों के ताने बानों को सुलझा लेंगे. हम आप के रिश्तों के मजबूत और मधुर होने की तहे दिल से प्रार्थना करते हैं.