भारत में अलग-अलग नामों से मनाई जाती है मकर संक्राति, यहाँ जानिए सबके तरीके और महत्व
भारत में अलग-अलग नामों से मनाई जाती है मकर संक्राति, यहाँ जानिए सबके तरीके और महत्व
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नए वर्ष में मकर संक्रांति का पर्व 15 जनवरी सोमवार को मनाया जाएगा. मकर संक्रांति के दिन सूर्योदय के समय स्नान करें तथा उसके पश्चात् सूर्य देव को जल अर्पित करें. सूर्य देव को जल में लाल पुष्प, लाल चंदन एवं गुड़ डालकर अर्घ्य देना चाहिए. इससे सूर्य देव की कृपा प्राप्त होती है. मकर संक्रांति का पर्व ग्रहों के राजा सूर्य देव की पूजा के लिए है. उस दिन से खरमास का समापन होता है. साल 2024 में मकर संक्रांति 15 जनवरी 2024, सोमवार के दिन मनाई जाएगी। इस दिन सूर्य देव प्रातः 02 बजकर 54 मिनट पर धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करेंगे। 

वही मकर संक्रांति का पर्व लगभग पूरे देश में मनाया जाता है, हालांकि इसे मनाने का तरीका और नाम अलग अलग प्रदेशों में भिन्न-भिन्न होते हैं। कहते हैं जब सूर्य एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करता है, तो उसे 'संक्रांति' कहा जाता है। मकर संक्रांति के अवसर पर स्नान और दान की परंपरा है। हालांकि कुछ जगहों पर इसे मनाने के अलग रीति रिवाज हैं। मकर संक्रांति को कुछ स्थानों पर खिचड़ी के पर्व के नाम से भी जाना जाता है तो वहीं कुछ लोग इसे पोंगल के पर्व के तौर पर मनाते हैं। आइये आपको बताते है कि मकर संक्रांति को देश के अलग-अलग प्रदेशों में किन नामों से पुकारा जाता है तथा इसे मनाने की परंपरा कितनी अलग हैं।

उत्तर प्रदेश की मकर संक्रांति
मकर संक्रांति को उत्तर प्रदेश में इसी नाम से मनाया जाता है। हालांकि राज्य के कुछ शहरों में मकर संक्रांति को खिचड़ी के नाम से भी जाना जाता है। इस पर्व के अवसर पर उत्तर प्रदेश में उड़द दाल और चावल की खिचड़ी बनाना शुभ माना जाता है। इस दिन तिल के लड्डू, मूंगफली और गुड़ की गजक का सेवन किया जाता है। स्नान के पश्चात् खिचड़ी, गुड़ आदि का दान किया जाता है तथा फिर घर पर पकाई खिचड़ी का सेवन करते हैं।

पंजाब-हरियाणा की मकर संक्रांति
पंजाब और हरियाणा में, त्योहार को लोहड़ी के रूप में मनाया जाता है, जहां अलाव जलाया जाता है, और लोग अनुष्ठान करने और आशीर्वाद लेने के लिए इसके चारों ओर इकट्ठा होते हैं। इन क्षेत्रों में मकर संक्रांति को माघी के नाम से भी जाना जाता है।

राजस्थान और गुजरात में मकर संक्रांति
गुजरात और राजस्थान राज्य इस त्योहार को उत्तरायण के रूप में मनाते हैं, जो दो दिनों तक चलने वाले जीवंत पतंग उत्सवों द्वारा चिह्नित होता है। आकाश रंग-बिरंगी पतंगों से भर जाता है, और लोग पतंग उड़ाने के अपने कौशल का प्रदर्शन करने के लिए उत्साही प्रतियोगिताओं में भाग लेते हैं।

तमिलनाडु में मकर संक्रांति
दक्षिण में तमिलनाडु में, मकर संक्रांति को पोंगल के रूप में मनाया जाता है, यह चार दिवसीय त्योहार है जिसमें चावल और दाल से बने विभिन्न प्रकार के पोंगल व्यंजन शामिल होते हैं। प्रत्येक दिन का अपना महत्व और अद्वितीय अनुष्ठान होते हैं, जो इसे एक आनंदमय और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध उत्सव बनाते हैं।
 
मकर संक्रांति, जिसे विभिन्न नामों से जाना जाता है और विभिन्न तरीकों से मनाया जाता है, पूरे भारत में लोगों को खुशी और उत्सव की भावना से एकजुट करती है। यह अंधकार पर प्रकाश की विजय और गर्म दिनों के आगमन का प्रतीक है, जो देश के लोगों के बीच एकता और सांस्कृतिक विविधता की भावना को बढ़ावा देता है।

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