संसद सदस्यता जाने के बाद महुआ मोइत्रा की आई पहली प्रतिक्रिया, जानिए क्या कहा?
संसद सदस्यता जाने के बाद महुआ मोइत्रा की आई पहली प्रतिक्रिया, जानिए क्या कहा?
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नई दिल्ली: कैश फॉर क्वेरी मामले में TMC सांसद महुआ मोइत्रा की संसद सदस्यता चली गई है। तत्पश्चात, उनकी पहली प्रतिक्रिया आई है। उन्होंने कहा है, मेरे खिलाफ कोई सबूत नहीं है। मैंने अडानी का मुद्दा उठाया था तथा आगे भी उठाती रहूंगी। किसी भी उपहार की नकदी का कोई सबूत नहीं है। महुआ मोइत्रा ने कहा कि निष्कासन की सिफारिश पूरी तरह से इस आधार पर है कि मैंने अपना पोर्टल लॉगिन साझा किया है। इसको नियंत्रित करने के लिए कोई भी नियम नहीं हैं। एथिक्स कमेटी के पास निष्कासित करने का कोई अधिकार नहीं है। यह आपके (भाजपा) अंत की शुरुआत है।

उन्होंने कहा, यदि मोदी सरकार ने सोचा है कि मुझे चुप कराकर अडानी मुद्दे को समाप्त कर देंगे तो बता दूं कि आपने जो जल्दबाजी और उचित प्रक्रिया का दुरुपयोग किया है, वह दर्शाता है कि अडानी आपके लिए कितना महत्वपूर्ण है। आप एक महिला सांसद को किस हद तक परेशान करेंगे। महुआ मोइत्रा की संसद सदस्यता जाने का प्रस्ताव पारित होने के पश्चात् विपक्षी सांसद संसद परिसर से वॉकआउट कर गए। एथिक्स कमेटी की रिपोर्ट को लेकर जैसे ही लोकसभा में रिपोर्ट पर चर्चा हुई TMC सांसद सुदीप बंद्योपाध्याय ने अनुरोध किया कि महुआ मोइत्रा को सदन के सामने अपना पक्ष रखने की अनुमति दी जाए।

संसद सदस्यता को लेकर स्पीकर ओम बिरला ने कहा कि यह सदन समिति के निष्कर्ष को स्वीकार करता है कि सांसद महुआ मोइत्रा का आचरण एक सांसद के रूप में अनैतिक तथा अशोभनीय था। इसलिए उनका सांसद बना रहना उचित नहीं है। कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने कहा, जैसा कि अधीर रंजन ने कहा- यदि हमने इस रिपोर्ट का संज्ञान लेने के लिए 3-4 दिन का वक़्त दिया होता तथा फिर सदन के सामने अपनी राय रखी होती तो आसमान नहीं गिर जाता। क्योंकि सदन एक बेहद संवेदनशील मामले पर फैसला लेने जा रहा है। क्या आचार समिति की प्रक्रिया प्राकृतिक न्याय के मूल सिद्धांत को समाप्त कर सकती है, जो दुनिया की हर न्याय प्रणाली का आयोजन सिद्धांत है? हमने अखबार में जो पढ़ा जिसे अभियुक्त बनाया गया। उन्हें अपनी अपनी बात रखने का अवसर तक नहीं दिया गया, यह कैसी प्रक्रिया है?।

बता दें कि भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने TMC सांसद महुआ पर पैसे लेकर संसद में सवाल पूछने का आरोप लगाया था। दुबे ने सर्वोच्च न्यायालय के अधिवक्ता जय अनंत का पत्र दिखाया था। इसमें दावा किया था कि घूस का लेनदेन महुआ तथा हीरानंदानी के बीच हुआ था। आरोप लगने के पश्चात् महुआ ने भाजपा सांसद निशिकांत दुबे और जय अनंत को कानूनी नोटिस भेजा था। महुआ ने आरोपों को बेबुनियाद बताया था।

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