पहली बार कम्युनिस्टों ने बांधे गांधी की तारीफों के पुल, क्या है मायने
पहली बार कम्युनिस्टों ने बांधे गांधी की तारीफों के पुल, क्या है मायने
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नई दिल्लीः देश में इन दिनों गांधीजी की विरासत को लेकर होड़ सी मची हुई है। हर कोई खुद को गांधी के विरासत का सच्चा दावेदार बताता है। इस होड़ में कभी गांधी के कटु आलोचक रह चुके कम्युनिस्ट पार्टी भी शामिल हो गई है। गांधी जय़ंती के दिन राऊज एवेन्यू स्थित अपने नए कार्यालय सुरजीत भवन के उद्घाटन समारोह में माकपा नेता पहली बार बापू की तारीफों के पुल बांधते दिखाई दिए। माकपा के किसी समारोह में ऐसा भी पहली बार हुआ कि मंच पर केवल दो ही नेताओं की तस्वीर लगाई गई थी।

एक तस्वीर थी माकपा के संस्थापक सदस्य और पूर्व महासचिव कामरेड हरकिशन सिंह सुरजीत की और दूसरी महात्मा गांधी की। नए कार्यालय का उद्घाटन समारोह भी जानबूझकर महात्मा गांधी की 150वीं जयंती के दिन ही रखा गया था। उद्घाटन भाषण में भी पार्टी महासचिव सीताराम येचुरी ने महात्मा गांधी को कई बार याद किया। येचुरी ने कहा कि गांधी की विचारधारा और उनके आदर्श आज की राजनीति में और भी ज्यादा प्रासंगिक हो गए हैं।

इससे पहले माकपा के केंद्रीय कार्यालय एके गोपालन भवन पर गांधी जयंती के मौके पर ऐसा भव्य समारोह कभी आयोजित नहीं किया गया था। अभी तक केवल कांग्रेस ही महात्मा गांधी की विरासत संभालती थी, मगर पांच साल पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वच्छ भारत अभियान छेड़कर राष्ट्रपिता की विरासत पर भाजपा का भी दावा ठोक दिया था। यहां तक कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत भी बापू की तारीफ कर चुके हैं। अब इस लाइन में माकपा भी आ खड़ी हुई है।

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