मप्र की सियासत में मतलब के लिए राम पर भरोसा
मप्र की सियासत में मतलब के लिए राम पर भरोसा
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इंदौर : मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनावों नवम्बर दिसम्बर में प्रस्तावित है. मगर यातरिया शुरू कब की हो गई है. इस बार सूबे के समीकरण बड़े उलझे हुए प्रतीत हो रहे है और रुझानों की मने तो कुछ भी हो सकता है. 90.89 प्रतिशत हिंदू आबादी के वोट वाला हिंदुस्तान का दिल राम भरोसे राजनीती करने वाला है. राम भरोसे के दो मायने है-  एक तो सिर्फ राम भरोसे और दूसरा राम के नाम का उपयोग कर जनता का भरोसा जीतना . भाजपा-कांग्रेस दोनों इसे सबसे बड़ा हथियार मान चुकी है. कारण ऊपर लिखा है 90.89 प्रतिशत हिंदू वोट. जानिए अब तक के प्रयास -

-असल मुद्दा हिंदू छवि गढ़ने का है. गुजरात, कर्नाटक चुनाव के बाद कांग्रेस अब मध्यप्रदेश में भी अपने हिंदूवादी कार्ड खेलने की तैयारी में है. इसमें भाजपा कतई पीछे नहीं है.  
-नर्मदा यात्रा के बाद अध्यक्ष दिग्विजय सिंह ओरछा के राम राजा मंदिर से कांग्रेस की एकता यात्रा गुरुवार से शुरू कर रहे हैं. 
-कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ प्रभार लेने से पहले अपने संसदीय क्षेत्र छिंदवाड़ा में 101 फीट उंची भगवान हनुमान की प्रतिमा का -लोकापर्ण कर मुरारी बापू की रामकथा का भव्य आयोजन कर चुके हैं. 
-कांग्रेस चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष ज्योतिरादित्य सिंधिया ने उज्जैन के महाकाल मंदिर में पूजा कर अपनी परिवर्तन यात्रा की शुरूआत की. 
-भाजयुमो के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राहुल कोठारी भोपाल से टिकट के दावेदार हैं, और हाल ही में नवरात्री पर देवी जागरण, जैसे आयोजन, -हनुमान जयंती पर शोभायात्राओं में शिरकत कर अपनी दावेदारी को मजबूती दे रहे हैं. 
-इंदौर मालवा तो जैसे धार्मिक आयोजनों और भोजन भंडारों का गढ़ है. भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री कैलाश विजयवर्गीय अपने क्षेत्र महू में भव्य रामकथा, भागवत प्रवचन के भव्य आयोजन करते ही रहते हैं. 
-पूर्व मंत्री के बेटे अनुरोध जैन जो चुनावी तैयारी कर रहे हैं, उन्होंने तो रामायण दर्शन से युवाओं का रोजगार कार्यक्रम शुरू किया हुआ है. 
-विधायक सुदर्शन गुप्ता चुनरी यात्रा जैसे भव्य आयोजनों से अपनी राजनीति को मजबूत करते आए हैं. 

ये सभी सबुत है कि प्रदेश की राजनीति को राम पर भरोसा है और याद रहे राम भरोसे के दो मतलब है जो ऊपर दिए गए है. 

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