मध्य प्रदेश/खंडवा : कुछ समय पहले शुरू हुए जल सत्याग्रह का दायरा बढ़ता ही जा रहा है, मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में ओंकारेश्वर बांध का जल स्तर बढ़ाए जाने से डूब में आई जमीन के विरोध में चल रहे जल सत्याग्रह को समर्थन मिलने का दायरा बढ़ता जा रहा है। गुरुवार को जल सत्याग्रह के 20वें दिन 44 और लोग पानी में उतर गए। वहीं खंडवा के अधिवक्ताओं ने जिलाधिकारी को मुख्यमंत्री के नाम आंदोलनकारियों के समर्थन में ज्ञापन सौंपा है। नर्मदा नदी पर बने ओंकारेश्वर बांध का स्तर 189 मीटर से बढ़ाकर 191 मीटर कर दिया गया है। इसके चलते कई गांवों की खेती की जमीन डूब में आ गई है। इसके विरोध में घोगलगांव में 11 अप्रैल से जल सत्याग्रह चल रहा है। गुरुवार को सत्याग्रह का 20वां दिन था। इस दिन अलग अलग गावों के 44 और विस्थापित जल सत्याग्रह से जुड़ गए। आलोक अग्रवाल ने नीली पट्टी बांधकर इन 44 सत्याग्रहियों का सत्याग्रह शुरू कराया।
अलोक अग्रवाल ने कहा है कि 44 और लोगों के पानी में उतरने से जल सत्याग्रह करने वालों की संख्या 80 हो गई है। वहीं उन्होंने राज्य के नर्मदा घाटी विकास मंत्री लाल सिंह आर्य द्वारा जारी की गई अपील पर सवाल उठाए हैं। आर्य ने डूब प्रभावितों से आग्रह किया है कि वे या तो सन् 2012 में सरकार द्वारा घोषित पुनर्वास पैकेज ले लें या लैंड बैंक में उपलब्ध जमीन पर पुनर्वास कर लें, अग्रवाल ने कहा कि नर्मदा घाटी विकास मंत्री के दोनों ही प्रस्ताव विस्थापितों को मंजूर नहीं है, क्योंकि जहां तक 2012 के पुनर्वास पैकेज का सवाल है तो वह पैकेज न तो बाजार भाव के आधार पर था और न ही पुनर्वास नीति की पात्रता के अनुसार न्यूनतम पांच एकड़ जमीन के लिए था। अत: उस पैकेज से उनके पुनर्वास के अधिकार को प्राप्त करना संभव नहीं था, जिस कारण विस्थापितों ने पैकेज स्वीकार नहीं किया।
अग्रवाल जी ने आगे बताया कि दूसरी ओर लैंड बैंक की जमीनों का प्रश्न है तो राज्य सरकार के राजस्व विभाग के 28 मई 2001 के पत्र के अनुसार, नर्मदा घाटी मंत्रालय द्वारा पुनर्वास के लिए अरक्षित की गई लैंड बैंक की जमीन अनउपजाऊ है, इन जमीनों को विस्थापितों को दिखाया गया था, जो अन उपजाऊ और अतिक्रमित पाई गई, कई स्थानों पर हथियारों से लैस अतिक्रमणकारियों ने विस्थापितों को भगा दिया था, अग्रवाल ने कहा है कि इन दोनों प्रस्तावों से विस्थापितों का पुनर्वास नीति और सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार पुनर्वास संभव नहीं है। विस्थापितों को सरकार या तो जमीन खरीद कर दे या वर्तमान बाजार भाव पर पात्रता अनुसार न्यूनतम पांच एकड़ जमीन खरीदने के लिया अनुदान दें, ताकि विस्थापितों का उचित पुनर्वास हो सके, एक तरफ जल सत्याग्रह चल रहा है तो दूसरी ओर खंडवा में अधिवक्ताओं ने जिलाधिकारी को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा, जिसमें कहा गया है, "हम जल सत्याग्रहियों का समर्थन करते हैं और मुख्यमंत्री से अपील करते हैं कि प्रभावितों का पुनर्वास कराया जाए और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का पालन किया जाए।"
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