Mar 23 2018 05:16 PM
1. बरसात भी नहीं है बादल गरज रहे हैं,
सुलझी हुई लटे हैं और हम उलझ रहे हैं,
मदमस्त एक भँवरा क्या चाहता कली से,
तुम भी समझ रहे हो हम भी समझ रहे हैं.
2. हाल अपने दिल का, मैं तुम्हें सुना नहीं पाती हूँ,
जो सोचती रहती हूँ हरपल, होंठो तक ला नहीं पाती हूँ,
बेशक बहुत मोहब्बत है, तुम्हारे लिए मेरे इस दिल में,
पर पता नहीं क्यों तुमको, फिर भी मैं बता नहीं पाती हूँ.
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