कंबल ओढ़ाकर किया गया बदरीनाथ के पट को शीतकाल के लिए बंद
कंबल ओढ़ाकर किया गया बदरीनाथ के पट को शीतकाल के लिए बंद
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बदरीनाथ : भगवान बदरीविशाल के पट को शीतकाल के लिए बंद कर दिया गया। हजारों श्रद्धालुओं की उपस्थिति में वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ पट को बंद किया गया। इस साल अब तक 4 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने बदरीनाथ के दर्शन किए। गंगोत्री, यमुनोत्री और केदारनाथ के पट को पहले ही बंद किया जा चुका है, जिससे बदरी-केदार मंदिर समिति को 6 करोड़ रुपए की आय हुई है। इसके साथ ही चार धाम की यात्रा भी संपन्न हुई।

मंगलवार को ब्रम्हमुहुर्त में बदरीशपुरी को फूलों से सजाया गया। इसके बाद बदरीनाथ के रावलइश्वरी प्रसाद नंबूदरी ने अभिषेक व महापूजा कराई और दोपहर बाद पट को बंद करने की प्रक्रिया आरंभ हुई। इस साल की अंतिम पूजा में भगवान के स्वर्ण आभूषणों को उतार पुष्प सज्जा की गई। पूजा-अर्चना के बाद भगवान को भोग लगाकर माणा गांव की कन्याओं द्वारा तैयार किए गए उनी कंबल में 14 किलो घी का लेपकर भगवान बदरी को ओढ़ाया गया। शीत काल में भगवान के शरीर पर एकमात्र वस्त्र यही रहता है।

इस पूरी प्रक्रिया के बाद लक्ष्मी मंदिर से माँ लक्ष्मी को गर्भगृह में ले जाया गया और नारायण को लक्ष्मी के साथ विराजित कर 4.35 में कपाट को बंद कर दिया गया। ऐसी मान्यता है कि शीतकाल में नारद मुनि भगवान की पूजा करते है। इस मौके पर गढ़वाली बैंड ने समा बाँधा। देश-विदेश के कई श्रद्धालुओं ने भजन-कीर्तन भी किया।

इस अवसर पर मंदिर समिति के अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने शोभा यात्रा को हरिद्वार के लिए विदा किया और मंदिर के प्रतीक ध्वज को यात्रा दल के मुखिया को सौंपा। अगले साल इसी ध्वज के नीचे अर्द्धकुंभ के मौके पर गढ़वाली देवी-देवता स्नान-ध्यान करेंगे।  

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