यहां लिंग के रूप में है माता का मंदिर
यहां लिंग के रूप में है माता का मंदिर
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भारत में कई मंदिर है जो की अपनी मान्यताओ को लेकर प्रचलित है। जिनकी लोग पूजा करते है। लोग दूर दूर से कई मंदिरो के दर्शन के लिए आते है। लेकिन आप जानते है की लिंग के रूप में भी एक मंदिर है। जो की माता जी का है जिनका नाम लिंगेश्वरी देवी है। यह ‘लिंगाई माता मंदिर’ है, जो कि आलोर गांव की गुफा में बना है। इस मंदिर में एक शिवलिंग है,

मान्यता है कि यहां माता लिंग रूप में विराजित हैं। शिव और शक्ति के समन्वित स्वरूप को ‘लिंगाई माता’ के नाम से जाना जाता है। इनको लेकर अनेक मान्यताए है।

पहली मान्यता यह है की यहां खीरा चढ़ाने से संतान की प्राप्ति हो जाती है। संतान-प्राप्ति की इच्छा रखने वाले जोड़े को खीरा चढ़ाना ज़रूरी है। प्रसाद के रूप में चढ़े खीरे को पुजारी, पूजा के बाद जोड़े(दंपति) को वापस करता है। दम्पति को शिवलिंग के सामने ही इस ककड़ी को अपने नाखून से चीरा लगाकर दो टुकड़ों में तोडना होता है और फिर इस प्रसाद को दोनों को खाना होता है।अब निःसंतान लोगों को डॉक्टर के पास जाने की ज़रूरत नहीं, बस 10 रूपए का खीरा खरीदो और संतान पाओ।

दूसरी मान्यता यह है की मंदिर के बाहर सतह पर रेत बिछा दी जाती है। इसके अगले साल इस रेत पर जो चिन्ह मिलते हैं, उससे पुजारी अगले साल के भविष्य का अनुमान लगाते हैं। यदि कमल का निशान हो तो धन संपदा में बढ़ोत्तरी, हाथी के पांव के निशान हो तो उन्नति, घोड़ों के खुर के निशान हों तो युद्ध, बाघ के पैर के निशान हों तो आतंक, बिल्ली के पैर के निशान हों तो भय तथा मुर्गियों के पैर के निशान होने पर अकाल होने का संकेत माना जाता है।

लगातार बढ़ रहा आकार - लिंगेश्वरी माता के बारे में एक और बात इस मंदिर को विशेष बना देती है। स्थानीय प्रत्यक्षदर्शियों का मानना है कि पहले इसकी ऊंचाई बहुत कम थी। यहां का शिवलिंग पहले आकार में बहुत छोटा था, लेकिन हाल के वर्षों में इसकी उंचाई में वृद्धि हुई है। और यही नहीं इसकी ऊंचाई में अब भी निरंतर बढ़ोतरी हो रही है।

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