दोषी वह नहीं जो कामचोर है बल्कि दोषी वह है जो दूसरों को आलसी बनाता है
दोषी वह नहीं जो कामचोर है बल्कि दोषी वह है जो दूसरों को आलसी बनाता है
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tyle="text-align:justify">किसी सेठ के पास कई कर्मचारी काम करते थे। प्राय: सभी आलसी और कमजोर थे, केवल किरीट ही ईमानदार और मेहनती था। वह अपना काम करने के अलावा दूसरों के बचे कार्यों को भी पूरा कर देता था।
 
 
एक दिन सेठ ने अपने कर्मचारियों को बुलाया और कहा, ‘‘मुझे पता चला है कि कुछ लोग अपना काम ठीक से नहीं कर रहे हैं। इससे व्यापार में घाटा हो रहा है। कामचोर कर्मचारी जल्दी सुधर जाएं अन्यथा उन्हें उसका नतीजा भुगतना पड़ेगा।’’ 
 
 
सेठ जी की चेतावनी से कुछ तो सुधर गए लेकिन ज्यादातर ने चेतावनी को अनसुना कर दिया। किरीट हमेशा की तरह पहले अपना काम पूरा करता फिर अपने निठल्ले साथियों की मदद में जुट जाता।
 
 
कुछ दिनों बाद सेठ ने फिर सभी को बुलाकर कहा, ‘‘मैंने पहचान लिया है कि तुम लोगों में असली काम चोर कौन है। उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी।’’ 
 
 
सभी कर्मचारी सोचने लगे कि पता नहीं आज किसकी नौकरी जाएगी। कुछ देर की चुप्पी के बाद सेठ ने कहा, ‘‘सबसे बड़ा गुनाहगार किरीट है। उसे सजा मिलेगी। कर्मचारियों को कुछ समझ नहीं आया सेठ क्या कह रहे हैं। किरीट तो सबसे ज्यादा मेहनती है।’’
 
 
सेठ ने कहा कि मेहनती और ईमानदार होना तो ठीक है, मगर दूसरों को आलसी बनाना ठीक नहीं। दोषी वह नहीं जो कामचोर है बल्कि दोषी वह है जो दूसरों को आलसी बनाता है। इसलिए कभी भी आलसी व्यक्ति का साथ न दें। सेठ ने किरीट को इसी चेतावनी के साथ छोड़ दिया और उसे ऐसा दोबारा करने से मना किया।

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