नई दिल्ली : संसद के शीतकालीन सत्र का आज आखिरी दिन है। अंततः यह सत्र भी हंगामे की भेंट चढ़ गया। सत्र की शुरुआत 26 नवंबर से हुई थी, तब से पहले संविधान सभा पर चर्चा, नेशनल हेराल्ड का मुद्दा, असहिष्णुता और अब डीडीसीए जैसे अनगिनत बेकाम मुद्दों पर बहस हुई केवल काम के मुद्दों को छोड़कर। राज्यसभा में कुल 16 और लोकसभा में कुल 19 बिल लंबित है।
पूरे सत्र के अंतिम दिन सरकार और विपक्ष ने बिना किसी आपत्ति के जुवेनाइल जस्टिस बिल को पास किया, इसके लिए भी जनता द्वारा दबाव बनाया गया। इस बिल में व्यस्क होने की आयु सीमा 18 से घटाकर 16 वर्ष कर दी गई। इससे पहले संसद का मानसून सत्र भी बेमतलब के बहस के पचड़े में फंस गया था।
सत्ताधारी सरकार वस्तु एवं कर सेवा बिल को 1 अप्रैल से लागू करना चाहती थी, पर अब तक यह बिल लंबित है। वैसे तो यह किसी एक पार्टी का हाल नही है, जब कांग्रेस सत्ता में थी और बीजेपी विपक्ष में थी तब भी बीजेपी संसद न चलने देने का भरसक पर्यास करती थी और अब भूमिका बदलने पर भी वही हाल है। बता दें कि संसद के चलाए जाने के 1 मिनट का खर्च है-- 2.5 लाख रुपए।