1 मई को विश्व मजदूर दिवस मनाया जाता है। मगर इस दिन मजदूरों से ज्यादा तो नेता व्यस्त रहते हैं, ऐसे नेता जो श्रमिकों का वोट लेना चाहते हो वे तो अपने गले में हार लदवाने के लिए तैयार रहते ही हैं, उन्हें तो बस समारोह की जगह बताने की जरूरत है। लेबर डे तो हर साल मनाया जाता है, लोग लेबर डे मनाकर खानापूर्ति में लग जाते हैं.
लेकिन इस दिन भी सराय पर मजदूर दाड़की के लिए किसी ठेकेदार या छुट्टा काम देने वाले आदमी की बाट जोहता है तो नौकरीपेशा धक्के खाते हुए अपने दफ्तर पहुंचता है। अब इनके गले में हार की जगह गरदन पर तलवार जरूर लटकी रहती है। कुछ तो बेचारे ऐसे हैं जो नौकरियों की तलाश में रहते हैं, इन्हें परेशानी है कि भ्रष्टाचार का जीव इनकी नौकरियां खा रहा है। जिसके कारण इनकी जेब के साथ थाली कटोरी भी खाली होती जा रही है।
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