क़त्ल करें जो मासूमों का बैठें चाँद सितारों पर किसका हक़ है हमें बता ऐ जन्नत तेरी बहारों पर हमने जान बचाई है कुछ भोले-भाले बच्चों की लिक्खा जाए नाम हमारा मस्जिद की मीनारों पर धूल झोंकते हैं जनता की आँखों मेँ जो रोज़ो -शब लानत ऐसे नेताओं पर लानत है गद्दारों पर शौक़ से खेलो ख़ून की होली लेकिन ये भी याद रहे हमने भी इतिहास लिखा है दिल्ली की दीवारों पर हिन्द के दुश्मन होश में आएँ भूलें मत ये सच्चाई हिन्दुस्तानी चल सकते हैं काँटों और अंगारों पर ये अंधा कानून अगर इंसाफ़ हमें देना चाहे ख़ून के धब्बे देख ले आकर बस्ती की दीवारों पर लाशों का सौदा करते हैं ये नापाक हुकूमत से आग लगा दो शहर के इन सब बिके हुए अख़बारों पर क़लम छुपाए बैठे हैं जो आज हुकूमत के डर से सदियाँ लानत भेजेंगी ऐसे घटिया फ़नकारों पर