कुछ नहीं बस, पी रहे हैं जी रहे हैं
कुछ नहीं बस, पी रहे हैं जी रहे हैं
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एक समय की बात है, करंटपुरा नामक कस्बे में दो दोस्त रहा करते थे। पहला जबर्दस्त पियक्कड़ और दूसरा भला इंसान। दूसरा हमेशा पहले को समझाता रहता था।

कुछ समय बाद दूसरा दोस्त कामकाज के सिलसिले में कस्बे से शहर जा पहुंचा। कुछ समय कमाई-धमाई की, फिर वापस गांव लौटा। अपनी नई साइकिल के पैडल मारते हुए सीधे अपने दोस्त के घर पहुँचा। पहला हमेशा की तरह धुत्त मिला।

दूसरे ने पूछा, “और क्या चल रहा है?”

पहला बोला, “कुछ नहीं बस, पी रहे हैं.. जी रहे हैं… तुम सुनाओ।”

दूसरा बोला, “बस, बढ़िया, शहर में कामकाज चल निकला है। साइकिल खरीद ली है, तुम साले सुधर जाओ।”

और पैडल मारते हुए वापस शहर की तरफ निकल लिया।

कुछ दिनों बाद फिर शहर से कस्बे में पहुंचा। इस बार स्कूटर पर था। सीधे दोस्त के घर का रास्ता लिया। वहां फिर वही क्या चल रहा है? वही पी रहे हैं, जी रहे हैं… सुधर जाओ टाइप बातें हुईं। फिर दूसरे ने स्कूटर को किक लगाई और फिर शहर की दिशा में वापस हो लिए।

इस बार दूसरा कुछ महीनों बाद कस्बे में पहुंचा। इस बार कार में था। सीधे दोस्त के घर का रास्ता लिया। पता चला कि वो घर पर नहीं हैं, खेत गया हुआ है। तो दूसरे ने कार सीधे खेत की दिशा मे दौड़ा दी। वहां पहुंचा तो देखता क्या है कि पहला खेत के बीचों-बीच खाट पर बैठ पी रहा है। पास में ही एक हेलिकॉप्टर खड़ा है। दूसरा सीधे अपने दोस्त के पास जा पहुँचा और वही पुरानी बातचीत शुरू हो गई, “और क्या चल रहा है?”

पहला बोला, “बस, कुछ नहीं यार, वही पी रहे हैं, जी रहे हैं… पीते-पीते बोतलें ज्यादा इकट्ठी हो गईं तो बेचकर हेलिकॉप्टर खरीद लिया और पार्किंग के लिए खेत भी खरीद लिया है, और तुम सुनाओ।”

दूसरा वहीं बेहोश हो गया।

 

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