जानिए सोमवार से लेकर रविवार तक ही क्यों रखा गया है दिनों का नाम
जानिए सोमवार से लेकर रविवार तक ही क्यों रखा गया है दिनों का नाम
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एक सप्ताह में 7 दिन होने का कारण विशेष है और इसे आधारभूत रूप से कैलेंडर सिस्टम पर आधारित है। सप्ताह के दिनों की गणना और व्यवस्था कुछ ऐसे नियमों पर आधारित होती हैं:

सौर मण्डलीय आधार: सप्ताह की व्यवस्था को सौर मण्डलीय आधार पर तया जाता है, जिसमें धरती एक पूर्ण परिक्रमा पूरी करती है। यह धरती की गति के आधार पर तय होता है और धरती के एक पूर्ण चक्र को सात अनुभागों में विभाजित किया जाता है।

इतिहास और पौराणिक कथाओं का प्रभाव: दिनों की व्यवस्था में पौराणिक कथाओं और इतिहास का भी महत्वपूर्ण योगदान होता है। हिन्दू परंपरा में सप्ताह के दिनों को सूर्य, चंद्रमा, ग्रहों, देवताओं और नक्षत्रों से जोड़ा जाता है। इस प्रकार, विभिन्न दिनों को अलग-अलग देवताओं के नामों पर आधारित किया जाता है और सप्ताह के सप्त दिनों को योग्यतानुसार व्यवस्थित किया जाता है।

आधुनिक कैलेंडर सिस्टम: आधुनिक कैलेंडर सिस्टम में ग्रीगोरियन कैलेंडर का उपयोग होता है, जिसमें सप्ताह को सात दिनों में विभाजित किया गया है। यह सिस्टम पश्चिमी सभ्यताओं में प्रचलित हो गया है और अधिकांश देशों में आज भी उपयोग में है। ग्रीगोरियन कैलेंडर के अनुसार, हर सप्ताह में सोमवार से शुरू होकर रविवार को समाप्त होता है।

सोमवार से लेकर रविवार तक दिए गए नामों का कारण उन्हें उन दिनों से जोड़ा जाना है जिन्हें विशेषतः पौराणिक और आध्यात्मिक विचारधारा में महत्वपूर्ण माना जाता है। हिन्दू परंपरा में इन दिनों को देवताओं, ग्रहों, नक्षत्रों, और विभिन्न पौराणिक कथाओं के अनुसार नामित किया गया है। इसका उदाहरण निम्नलिखित है:

सोमवार: इस दिन को सोम देवता के नाम पर नामित किया गया है। सोम देवता हिन्दू परंपरा में चंद्रमा के प्रतीक माने जाते हैं और उन्हें नवग्रहों में एक माना जाता है।

मंगलवार: इस दिन को मंगल ग्रह के नाम पर नामित किया गया है। मंगल ग्रह को हिन्दू परंपरा में शक्ति और साहस का प्रतीक माना जाता है।

बुधवार: इस दिन को बुध ग्रह के नाम पर नामित किया गया है। बुध ग्रह हिन्दू परंपरा में बुद्धि, विद्या, वाणी, और बुद्धिमानता का प्रतीक माना जाता है।

गुरुवार: इस दिन को गुरु ग्रह के नाम पर नामित किया गया है। गुरु ग्रह हिन्दू परंपरा में ज्ञान, शिक्षा, धर्म, गुरुत्व, और गुरु का प्रतीक माना जाता है।

शुक्रवार: इस दिन को शुक्र ग्रह के नाम पर नामित किया गया है। शुक्र ग्रह हिन्दू परंपरा में सौंदर्य, प्रेम, सुख, और कला का प्रतीक माना जाता है।

शनिवार: इस दिन को शनि ग्रह के नाम पर नामित किया गया है। शनि ग्रह हिन्दू परंपरा में कर्म, न्याय, धर्म, और न्यायप्रियता का प्रतीक माना जाता है।

रविवार: इस दिन को सूर्य देवता के नाम पर नामित किया गया है। सूर्य देवता हिन्दू परंपरा में ज्योति, प्रकाश, ऊर्जा, और सर्वोच्चता का प्रतीक माना जाता है।

ग्रह और नक्षत्रों का मानवों से जुड़ाव ज्योतिष शास्त्र द्वारा विवरणित किया जाता है। इनका मानव जीवन पर गहरा प्रभाव होता है। हमारे जीवन को इन ग्रहों और नक्षत्रों की चाल, स्थिति और संयोगों से प्रभावित किया जाता है। यहां उनसे जुड़ा हुआ कुछ महत्वपूर्ण तत्व दिए गए हैं:

ग्रहों का प्रभाव: ज्योतिष शास्त्र में नौ ग्रहों को महत्वपूर्ण माना जाता है - सूर्य, चंद्रमा, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु और केतु। हर ग्रह की विशेषताएं और प्रभाव अलग-अलग होते हैं और इनका जीवन पर व्यक्तिगत, पारिवारिक और पेशेवर स्तर पर आधारित प्रभाव होता है।

नक्षत्रों का महत्व: नक्षत्रों का मानव जीवन पर भी गहरा प्रभाव होता है। ज्योतिष शास्त्र में 27 मुख्य नक्षत्रों का उल्लेख किया गया है, जिनमें प्रत्येक नक्षत्र अपनी विशेषताओं और प्रभाव के साथ आता है। नक्षत्रों का जन्मकुंडली में महत्वपूर्ण स्थान होता है और इनके आधार पर व्यक्ति के स्वभाव, गुण, व्यवहार, और भाग्य का विश्लेषण किया जाता है।

ग्रहों और नक्षत्रों का संयोग: ज्योतिष में ग्रहों और नक्षत्रों के संयोग का भी महत्व है। जब विभिन्न ग्रहों और नक्षत्रों की स्थिति और संयोग बनते हैं, तब उनका प्रभाव अधिक महत्वपूर्ण होता है। इसे कुंडली मिलान और ग्रह-नक्षत्र मेल के द्वारा देखा जाता है, जो विवाह या कार्य-क्षेत्र में महत्वपूर्ण होता है।

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