किसी भी देवी-देवता की पूजा में परिक्रमा करना अनिवार्य परंपरा है. मान्यता है कि परिक्रमा से पापों का नाश होता है. विज्ञान की नजर से देखें तो शारीरिक ऊर्जा के विकास में परिक्रमा का विशेष महत्व है. भगवान की मूर्ति और मंदिर की परिक्रमा हमेशा दाहिने हाथ से शुरू करना चाहिए, क्योंकि प्रतिमाओं में मौजूद सकारात्मक ऊर्जा उत्तर से दक्षिण की ओर प्रवाहित होती है. बाएं हाथ की ओर से परिक्रमा करने पर इस सकारात्मक ऊर्जा से हमारे शरीर का टकराव होता है, जिसके कारण शारीरिक बल कम होता है. जाने-अनजाने की गई उल्टी परिक्रमा हमारे व्यक्तित्व को नुकसान पहुंचाती है. दाहिने का अर्थ दक्षिण भी होता है,इस कारण से परिक्रमा को ‘प्रदक्षिणा’ भी कहा जाता है.
1-हनुमान जी की तीन परिक्रमा करे.
2-शिवलिंग की आधी परिक्रमा करनी चाहिए.
3-देवी माँ की तीन परिक्रमा करनी चाहिए.
4-श्री कृष्ण की चार परिक्रमा करनी चाहिए.
5-विष्णुजी की चार परिक्रमा करनी चाहिए.
6-श्री राम की चार परिक्रमा करनी चाहिए.
7-गणेशजी की तीन परिक्रमा करनी चाहिए.
8-भैरव जी की तीन परिक्रमा करनी चाहिए.
इस मंदिर में होती है मेंढक की पूजा
लंबी आयु के लिए करे ताँबे के शिवलिंग की पूजा