जानिए कौन है योगा के प्रथम गुरु
जानिए कौन है योगा के प्रथम गुरु
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योग एक प्राचीन शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक अभ्यास है जो दुनिया भर में लोगों द्वारा प्राकृतिक स्वास्थ्य और सुख-शांति के लिए अपनाया जाता है। योग एक प्रकार की मेधावी विद्या है जिसे पूर्वी भारतीय राष्ट्रीय शारीरिक और मानसिक अभ्यासों के साथ जोड़ा गया है। यह अभ्यास शारीरिक आत्म-संयम, अवधारणा और प्राणायाम का विशेष उपयोग करके मन, शरीर और आत्मा के एकीकरण को प्रमोट करता है। इस प्रकार, योग अच्छे स्वास्थ्य, आत्म-प्रगति और शांति की प्राप्ति में मदद कर सकता है।

आरंभिक योग गुरु: योग की शुरुआत बहुत समय पहले हुई थी और यह एक परंपरागत विद्या है जिसे पीठ दर पीठ बहुत सालों तक संचालित किया गया है। इसलिए, योग के दुनिया के सबसे पहले गुरु का अनुसरण करना काफी मुश्किल है। हालांकि, कुछ प्रमाणिक लेखों और दस्तावेजों के आधार पर हम जानते हैं कि योग की उत्पत्ति और विकास पहले से ही मौजूद थी और इसमें कई महान गुरुओं ने योग साधना का प्रमाण दिया।

महर्षि पतंजलि: योग के महान गुरुओं में से एक महर्षि पतंजलि हैं। महर्षि पतंजलि ने योग दर्शन की व्याख्या की और 'योग सूत्र' का निर्माण किया। इन सूत्रों में पतंजलि ने योग के अष्टांग मार्ग को प्रस्तुत किया है, जिसमें आठ अंग होते हैं - यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान और समाधि। महर्षि पतंजलि के योग सूत्र आज भी योग की प्रमाणिक प्राथमिक स्रोत के रूप में मान्यता प्राप्त कर रहे हैं।

महात्मा योगानंद: एक और प्रमुख योग गुरु महात्मा योगानंद थे। वह भारतीय योग को पश्चिमी दुनिया में प्रसारित करने के लिए प्रसिद्ध हुए। महात्मा योगानंद ने अपने जीवन के दौरान बहुत से लोगों को योग के फायदे बताए और अपने उपदेशों के माध्यम से उन्हें आत्म-प्रगति के मार्ग पर आगे बढ़ाया। उन्होंने 'आत्मकथा एक योगी की' जैसी प्रमुख पुस्तकों की रचना की जो योग और ध्यान के अंतर्गत अनुभवों पर आधारित हैं।

स्वामी शिवानन्द सरस्वती: इसके अलावा, स्वामी शिवानन्द सरस्वती भी भारतीय योग के प्रमुख गुरु माने जाते हैं। उन्होंने भारतीय संस्कृति, धर्म और योग के प्रचार-प्रसार में अहम योगदान दिया। उनके शिष्य स्वामी विवेकानंद ने भी योग के महत्व को पश्चिमी दुनिया में प्रस्तुत किया और विश्व धर्म संघ की स्थापना की।

नवीन योग गुरुओं की प्रमुखता: आधुनिक समय में, योग के कई नवीन गुरुओं ने अपने योग विद्यालयों और संगठनों के माध्यम से योग को लोगों तक पहुंचाया है। योगाचार्या बीकानेरवाला, स्वामी रामदेव, बाबा रामदेव, श्री श्री रविशंकर, आदि कुछ ऐसे प्रमुख योग गुरु हैं जिन्होंने योग की प्रमुखता प्राप्त की है और लोगों को योग के फायदों के बारे में जागरूक किया है।

निष्कर्ष: योग के दुनिया के सबसे पहले गुरु कौन थे इसका सटीक उत्तर देना मुश्किल है, क्योंकि योग का अभ्यास बहुत समय से चल रहा है और इसकी परंपरा ने कई गुरुओं को जन्म दिया है। हालांकि, महर्षि पतंजलि और महात्मा योगानंद इस क्षेत्र में महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं और उनके योग दर्शन और उपदेशों ने योग को विश्व स्तर पर प्रमाणित किया है। आधुनिक काल में भी नवीन योग गुरुओं ने अपने योग संस्थानों के माध्यम से योग का प्रचार प्रसार किया है और लोगों को स्वस्थ और शांतिपूर्ण जीवन के लिए मार्गदर्शन किया है।

योग मानव जीवन के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। यह एक पूर्ण जीवनशैली को समर्पित है जो हमारे शारीर, मन, और आत्मा का संतुलन बनाए रखने में मदद करती है। योग आपको शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक दृष्टि से सुख, स्वास्थ्य, और आत्म-प्रगति का अनुभव करने में सहायता प्रदान करता है। यह मन को शांत और स्थिर रखने, शारीर को स्वस्थ और ऊर्जावान बनाने, और आत्मा को प्रकाशित करने में सक्षम होता है।

योग के अभ्यास से हम अपनी शारीरिक गतिविधियों को सुचारू बना सकते हैं। योगाभ्यास से मांसपेशियों को मजबूती मिलती है, श्वास तंत्र को स्वस्थ रखने में मदद मिलती है, और शरीर की संतुलित रचना बनी रहती है। इसके साथ ही, योग की अभ्यास से मानसिक स्थिति पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। योग में ध्यान, मनःस्थिति और मनःशांति की प्राप्ति का महत्वपूर्ण भूमिका होती है। यह मानसिक तनाव को कम करके मानसिक शक्ति को बढ़ाता है और मानसिक तटस्थता को विकसित करता है।

योग का अभ्यास आत्मा के साथ संपर्क स्थापित करने में मदद करता है और हमें अपने अंतरंग शक्ति का अनुभव करने का अवसर देता है। योगाभ्यास द्वारा हम अपनी आत्मा के साथ जुड़कर अपार आनंद, शांति, और संतुष्टि का अनुभव करते हैं। इसके साथ ही, योग हमें अपने सामर्थ्यों और संभावनाओं को पहचानने में मदद करता है और हमें अपने पूरे पोटेंशियल का उपयोग करने की क्षमता प्रदान करता है।

इस प्रकार, योग मानव जीवन के लिए आवश्यकताओं को पूरा करने में मदद करता है। यह हमें स्वस्थ, सुखी और समृद्ध जीवन जीने की कला सिखाता है और हमारी आत्मा को आनंदित और पूर्णता की ओर ले जाता है।

योग करने से हमें कई बीमारियों से निजात मिलती है। योग एक पूर्ण शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक अभ्यास है जो हमारे शरीर, मन और आत्मा को स्वस्थ रखने में मदद करता है। योग न केवल रोगों को रोकता है, बल्कि उनके निदान में भी मदद करता है। यहां कुछ ऐसी बीमारियाँ हैं जिनसे योग करने से निजात मिलती है:

मधुमेह (डायबिटीज): योग आसन और प्राणायाम के द्वारा रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने में मदद करता है और मधुमेह को प्रबंधन करने में सहायता प्रदान करता है।

हृदयरोग (कार्डियोवैस्कुलर रोग): योगाभ्यास से हृदय की क्षमता बढ़ती है, रक्तचाप को नियंत्रित करने में मदद मिलती है और धमनियों को स्वस्थ रखता है, जिससे हृदयरोग से निपटने में सहायता मिलती है।

स्थायीत्व की समस्याएं (बालासन, त्रिकोणासन आदि): योगासन और प्राणायाम द्वारा केंद्रीय न्यूरोमस्कुलर कंट्रोल को बढ़ाते हैं और स्थायीत्व में सुधार करते हैं।

अस्थमा: प्राणायाम, दीर्घ श्वास प्राणायाम और कपालभाति के द्वारा श्वासनली को मजबूत बनाए रखने से अस्थमा के लक्षण कम हो सकते हैं।

स्त्रेस और अवसाद: योग में ध्यान, शांति प्राप्ति और मनःस्थिति के अभ्यास से मानसिक तनाव कम होता है और अवसाद को दूर करने में मदद मिलती है।

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