जाने किस हद तक सोचता है आपका दिमाग
जाने किस हद तक सोचता है आपका दिमाग
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क्या आपको दिमाग की हद पता है? वैज्ञानिक अंतरिक्ष और ब्रह्मांड के रहस्यों तक तो पहुंच गए लेकिन कुछ ऐसा है जो अभी भी छुटा हुआ है.चलिये आज इंसानी दिमाग से जुड़ी कुछ ऐसी ही कुछ चीज़ों के बारें बात करते हैं, जो शायद अभी भी दिमाग की हद से बाहर हैं.

1-मनोवैज्ञानिकों के अनुसार किसी भी मसले पर आप चाहे कितना ही विचार-विमर्श कर लें, और कितनी भी मंथन कर लें, आखिर में आप अपने अवचेतन मन से ही निर्णय लेते हैं. कहने का मतलब है कि ज्यादातर मामलों में आपके निर्णय अकस्मात ही होते हैं. 

2-कई लोग खुद को मल्टी टास्कर मानते हैं, लेकिन सच तो यह है कि कोई भी व्यक्ति मल्टी टास्किंग सटीकता से कर ही नहीं पाता. कम से कम उस तरह से तो नहीं जिस तरह मल्टी टास्कर को समझा गया है. उदाहरण के तौर पर आप वॉक करते हुए अपने दोस्त से बात कर सकते हैं, लेकिन आपका दिमाग इन दोनों में से एक ही चीज को अधिक तरजीह देता है, इसका सीधा सा आर्थ है कि एक ही बार में आप दो चीजों पर उतनी सटीकता से ध्यान नहीं दे सकते हैं.

3-शायद आपको कभी इस बात का एहसास ना हो, किंतु दिन का लगभग 30 प्रतिशत समय आपका मस्तिष्क इधर-उधर भटकने में ही लगा देता है. हमेशा  मस्तिष्क का भटकना गलत भी नहीं, क्योंकि वैज्ञानिकों का यह भी मानना है कि इसी भटकाव के कारण हमारा मस्तिष्क कई तरह की समस्याओं को भी सुलझा देता है.  

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