जानिए मत्स्य माता के मंदिर के बारे में
जानिए मत्स्य माता के मंदिर के बारे में
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आज हम आपको बता रहे है एक ऐसे मंदिर के बारे में जहा मछली की पूजा होती है,यह मंदिर है मत्स्य माताजी’ का. यह मंदिर लगभग 300 साल पुराना है, जिसका निर्माण मछुआरों ने करवाया था. मछली पकड़ने के लिए समुद्र में जाने से पहले यहां रहने वाले सारे मछुआरे इसी मंदिर में माथा टेकते हैं.

मंदिर से जुड़ी प्राचीन कथा कुछ यूं है कि लगभग 300 वर्ष पहले यहां रहने वाले एक व्यक्ति को एक सपना आया था. उस व्यक्ति  ने सपने में देखा कि समुद्र किनारे एक व्हेल मछली मृत अवस्था में है. जब उसने सुबह जाकर देखा तो सचमुच में एक मृत व्हेल मछली समुद्र किनारे पड़ी हुई थी. यह एक विशाल आकार की मछली थी, जिसे देखकर ग्रामीण चौंक उठे थे.

उस व्यक्ति ने स्वप्न में यह भी देखा था कि देवी मां व्हेल मछली का रूप धरकर तैरते हुए किनारे पर आती हैं. लेकिन किनारे पर आते ही उनकी मौत हो जाती है. यह बात जब उसने ने ग्रामीणों से बताई, और व्हेल को दैवीय अवतार मानकर गांव में एक मंदिर का निर्माण करवाया.मंदिर का निर्माण हो जाने के बाद उसने व्हेल की हड्डियां निकाली और उसे मंदिर में स्थापित कर दिया. 

कई बार आपने सुना होगा कि दैवीय शक्ति में विश्वास न करने या उसका मजाक उड़ाने का परिणाम भी भुगतना पड़ता है. कुछ ऐसा ही उन ग्रामीणों के साथ भी हुआ. कुछ दिनों बाद ही गांव में भयंकर बीमारी फैल गई. फिर उस व्यक्ति के कहने पर लोगों ने इसी मंदिर में मन्नत मांगी कि वे उन्हें माफ कर दें और गांव को रोग से मुक्त कर दें. यह चमत्कार ही था कि पीड़ित लोग अपने आप ठीक होने लगे. इसके बाद से ही पूरे गांव को इस मंदिर में विश्वास हो गया और वे रोजाना पूजा-अर्चना करने लगे.

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