महादेव के गले में क्यों रहता है नाग? जानिए इसके पीछे की पौराणिक कथा
महादेव के गले में क्यों रहता है नाग? जानिए इसके पीछे की पौराणिक कथा
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सावन का पावन माह चल रहा है। इस माह में महादेव एवं माता पार्वती की उपासना होती है। महादेव को सावन का महीना बेहद प्रिय हैं। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, सावन के महीने को कामनापूर्ति करने वाला बताया गया है। इस माह में आराधना करने से आपकी सभी इच्छाएं पूरी हो जाती है। प्रथा है कि महादेव एवं माता पार्वती सावन में भूमि पर वास करते हैं। कई लोग महादेव को खुश करने के लिए सावन में उपवास रखते हैं। इसके अतिरिक्त सोमवार के दिन विशेष उपाय करते हैं।

वही महादेव का स्वरूप अन्य देवताओं से अलग हैं। उनके गले में नाग, जटा में गंगा, सिर पर चंद्रमा तथा हाथ में त्रिशूल- डमरू इस बात का प्रतीक है। मगर क्या आप जानते हैं इन सभी चीजों को धारण करने के पीछे अलग-अलग वजह हैं। महादेव सिर्फ इंसान की भक्ति से नहीं अन्य जीवों पर भी अपनी दृष्टि बनाएं रखते हैं। कहा जाता हैं कि नाग-नागिन महादेव को अपना ईश्वर मानते हैं। उनके गले में भी सर्प की माला लिपटी रहती हैं। आइये आपको बताते है इसके पीछे की पौराणिक कथा के बारे में।

पौराणिक कथा के मुताबिक, नागराज वासुकी महादेव के परम भक्ते थें। वे हमेशा उनकी उपासना करने में लीन रहते थे। कथा के मुताबिक, समुद्र मंथन के वक़्त नागराज वासुकी ने रस्सी का काम किया था। महादेव नागराज की भक्ति देखकर खुश हो गए। उन्होंने वासुकी को अपने गले से लिपटे रहने का वरदान दिया। इसके पश्चात् से नागराज वासुकी अमर हो गए। सावन के माह में नाग पंचमी का पर्व मनाया जाता है। इस दिन मंदिरों में खास तौर पर सांपों की पूजा होती है। 

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