जानिए कैसा है हैंडलूम का इतिहास
जानिए कैसा है हैंडलूम का इतिहास
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हर वर्ष आज ही के दिन यानी7 अगस्त के दिन राष्ट्रीय हथकरघा दिवस (National Handloom Day 2022) सेलिब्रेट किया जाता है। इस दिन भारतीय लोकल हैंडलूम (Local Handloom) को प्रोत्साहित करने का काम भी किया जाता है। इंडियन ब्रांड्स और खादी (Khadi) को विश्वभर में पहुंचाने की पहल भी की जा रही है। इस दिन को मनाने का उद्देश्य है आर्थिक रूप से हथकरघा उद्योग को मजबूत बनाना और इसे विश्व में ब्रांड के तौर पर पेश करना। हैंडलूम से बनी खादी की साड़ी, सूट, दुपट्टा या कुर्ता और शर्ट काफी कंफर्टेबल होता है और कई लोगों की आज भी पहली पसंद है।
 
हैंडलूम का इतिहास: वर्ष 1905 में 1905 में लार्ड कर्ज़न ने बंगाल के विभाजन का एलान किया है, तब इसी दिन कोलकाता के टाउनहॉल में एक महा जनसभा से स्‍वदेशी आंदोलन (Swadeshi Movement) की शुरुआत की गई थी। इंडिया गवर्नमेंट की तरफ से इसी की याद में हर वर्ष 7 अगस्त को राष्ट्रीय हथकरघा दिवस सेलिब्रेट किया जाता है। 7 अगस्त, 2015 में प्रधानमंत्री (Narendra Modi) ने इस दिन की शुरुआत भी कर दी थी। उन्होंने तब चेन्नई में कॉलेज ऑफ मद्रास के शताब्दी कॉरिडोर पर इस दिन की शुरुआत करते बुनकरों को आगे ले जाने की घोषणा भी की गई थी। तभी से हर साल इस दिन को सेलिब्रेट किया जा रहा है। 7 अगस्त 2022 यानी आज 8वां हैंडलूम-डे सेलिब्रेट किया जा रहा है।
 
भारत की विरासत है हैंडलूम: हैंडलूम इंडिया की विरासत है, इसलिए इसका अहम् भी बहुत है। आंध्र प्रदेश की कलमकारी, गुजरात की बांधनी, तमिलनाडू का कांजीवरम और महाराष्ट्र की पैठनी कुछ ऐसे हैंडलूम हैं, जिन्हें हथकरघा यानी हैंड-वर्क से बनाया जा रहा है। इसमें एक लंबा वक़्त लग जाता है। यही कारण है कि हैंडलूम उद्योग को भारत की सांस्कृतिक विरासत का एक जरुरी हिस्सा कहा जाता है। यह बड़ी संख्या में लोगों के रोजगार (Employment) का साधन भी है। इस क्षेत्र में अकेले 70 प्रतिशत महिलाएं ही काम करती हैं। 

हैंडलूम का ट्रेंड: हैंडलूम के ट्रेंड को बढ़ावा देने और इसे ब्रांड बनाने कई हस्तियां सामने आ चुकी है। कई अभिनेत्री ने हैंडलूम से बने कपड़े, साड़ियां पहनकर इसको बढ़ावा देती हुई नजर आई हैं। वर्ष 2015 में जब पहली बार इस दिन की शुरुआत हुई थी, तब कपड़ा मंत्री स्मृति ईरानी ने सोशल मीडिया पर 'आई वियर हैंडलूम' कैंपेन की शुरुआत की थी। जिसका उद्देश्य था हथकरघा से बने कपड़ों को लोकप्रिय बनाना और बुनकर समुदाय को सहायता पहुंचाना। जिसके उपरांत हैंडलूम को लेकर कई तरह के कैंपेन चलाए गए। ट्विटर पर 'हैशटैग साड़ी ट्विटर' का ट्रेंड भी काफी पॉपुलर हुआ था।

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