हमारे देश में हर दिन कोई न कोई छोटा-मोटा त्यौहार अवश्य मनाया जाता हैं। अब चाहे वह देश में हो या फिर देश के किसी राज्य का किसी कस्बे में ही क्यों न हो। ऐसे ही हरेला का पर्व उत्तराखंड मना रहा है। हरेला पर्व प्रकृति को समर्पित त्यौहार है। आज हरेला, हरेली या हरेले का पर्व यह राज्य मना रहा है और इससे एक शाम पूर्व डेकर पूजन की परंपरा भी इस दौरान निभाई जाती है।
जानिए क्या होता है डेकर और कैसे होती है इसकी पूजा ?
हरेला पर्व से ठीक एक शाम पूर्व शाम डेकर यानी श्री हरकाली पूजन किया जाता है। इस दौरान घर के आंगन से ही शुद्ध मिट्टी ली जाती है। इस शुद्ध मिट्टी से फिर भगवान शिव, माता पार्वती, प्रथम पूजनीय श्री गणेश जी और कार्तिकेय आदि की छोटी-छोटी मूर्तियां बनाई जाती है। इसके बाद इन मूर्तियों को रंगने का काम भी किया जाता है। रंगने के बाद पूरे शिव परिवार की मूर्तियों का श्रृंगार किया जाता है।
इस संबंध में संस्कृति कर्मी रेनू जोशी कहती है कि सभी लोगों में डेकर बनाने को लेकर एक गजब का उत्साह देखने को मिलता है। इसमें बच्चे काफी उत्सुकता के साथ यह कार्य करते हैं। हरेले के सामने भगवान शिव और माता पार्वती का पूजन कर सभी लोग धन-धान्य की कामना करते हैं। प्रसाद की बात की जाए तो हरकाली पूजा में पुवे-प्रसाद, फल आदि का भोग लगता है। वहीं इस दौरान हरेले की गुड़ाई की जाती है।
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