जाने गणेश जी के प्रसिद्ध मंदिरों के बारे में, दर्शन करने से बनते है बिगड़े हुए काम
जाने गणेश जी के प्रसिद्ध मंदिरों के बारे में, दर्शन करने से बनते है बिगड़े हुए काम
Share:

गणेश महोत्सव इस साल 31 अगस्त को मनाया जाएगा भगवान गणेश जी को इच्छापूर्ति नाम से भी जाना जाता है, क्यूंकि श्री गणेश को मनोकामना पूर्ण करने वाले देवता माना गया है । अपने भक्तों के संकट हरने में गणपति जी देर नहीं लगाते यही वजह है कि उनका एक नाम विघ्नहर्ता भी है. गणपति बप्पा के देशभर में कई प्रसिद्ध मंदिर हैं। हम उनमें से ही मुख्य कुछ मंदिरों के बारे में आपको बताने जा रहे हैं।  देश के विभिन्न कोनों में स्थित इन मंदिरों के दर्शनों का जब भी मौका मिले तो एक बार अवश्य जाएं। 

➜ सिद्धिविनायक मंदिर 

महाराष्ट्र के मुंबई में स्थित सिद्धिविनायक मंदिर दुनिया भर में प्रसिद्ध है। भगवान श्री गणेश जी का यह मंदिर 19 नवंबर 1801 को गुरुवार के दिन पूर्ण हुआ था। यह मंदिर मुंबई प्रभादेवी इलाके में काका साहेब गाडगिल मार्ग पर स्थित है। आज इस मंदिर को गणेश जी के विशेष मंदिर का दर्जा प्राप्त है।

➜ अष्टविनायक मंदिर 

 महाराष्ट्र में पुणे के समीप अष्टविनायक के आठ पवित्र मंदिर 20 से 110 किलोमीटर के क्षेत्र में स्थित है इन मंदिरो का पौराणिक महत्व और इतिहास है। इनमे विराजित गणेश जी की सभी मूर्तियां स्वयंभू मानी जाती है। अष्टविनायक गणेश जी की उपासना का विशेष महत्व माना जाता है। 

➜ खजराना गणेश मंदिर 

यह मंदिर मध्यप्रदेश के इंदौर शहर में स्थित है। यह स्वयंभू मंदिर है। देश विदेश से भक्त इस मंदिर में मुराद मांगने आते हैं। यहां श्रीगणेश की 3 फीट ऊंची प्रतिमा है जो बावड़ी से निकाली गई थी।  यह प्रतिमा 286 साल पहले स्थापित की गई थी। जिनका नित्य पूजन विधि-विधान से होता है। 

➜ चिंतामण गणेश मंदिर 

यह मंदिर 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक महाकालेश्वर की नगरी उज्जैन में स्थित है। यहां गर्भगृह में प्रवेश करते ही गणपति जी की तीन प्रतिमाएं नजर आती है। पहली प्रतिमा चिंतामण, दूसरी इच्छामन और तीसरी सिद्धिविनायक गणेश जी की है। यह स्वयंभू मुर्तियां है। ऐसी मान्यता है कि चिंतामण चिंता से मुक्ति प्रदान करते है, इच्छाामन अपने भक्तों की कामनाएं पूर्ण करते है, जबकि सिद्धिविनायक स्वरूप सिद्धि प्रदान करते है। 

➜ रणथम्बौर गणेश मंदिर 

यह मंदिर राजस्थान के रणथम्बोर में स्तिथ है। यहां बड़ी संख्या में भक्त जन भगवान गणेश के त्रिनेत्र स्वरूप के दर्शन करने पहुंचते है। गणेश जी का यह मंदिर हजारों साल पुराना बताया जाता है।  यह रणथम्बोर किले में सबसे ऊंचाई पर स्थित है। 

➜ मोती डूंगरी गणपति  

मोती डूंगरी मंदिर का निर्माण राजस्थान के उत्तम पत्थर के साथ 4 महीने की समय अवधि में पूरा हुआ था। जो अपनी वास्तुकला और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से व्यापक रूप से प्रशंसित है। जहाँ वास्तुकला और डिजाइनिंग की मुख्य जिम्मेदारी सेठ जय राम पल्लीवाल को दी गई थी। लगभग 2 किलोमीटर के क्षेत्र में फैला, गणेश मंदिर अपने पत्थर के पैटर्न पर काम के लिए जाना जाता है, जो विभिन्न विवरणों के साथ उत्कीर्ण हैं। मंदिर में तीन गुंबद हैं जो भारतीय, इस्लामी और पश्चिमी प्रतीकों के संयोजन का प्रतिनिधित्व करते हैं। गणेश जी  का मोती डूंगरी मंदिर अपने मनोहारी दृश्य और सुरम्य के साथ-साथ लुभावनी जगह के लिए भी पर्यटकों के बीच प्रसिद्ध है।

27 अगस्त को है भादों की अमावस्या, जानिए इसका महत्व

30 अगस्त को है वराह जयंती, जानिए शुभ मुहूर्त और महत्व

श्री गणेश को भूल से भी न अर्पित करें तुलसी, जानिए पौराणिक कथा

रिलेटेड टॉपिक्स
- Sponsored Advert -
मध्य प्रदेश जनसम्पर्क न्यूज़ फीड  

हिंदी न्यूज़ -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_News.xml  

इंग्लिश न्यूज़ -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_EngNews.xml

फोटो -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_Photo.xml

- Sponsored Advert -