80 साल पहले इस खूनी टेलीफोन की वजह से लाखों लोगों की हुई थी मौत
80 साल पहले इस खूनी टेलीफोन की वजह से लाखों लोगों की हुई थी मौत
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कोई फोन लाखों लोगों के मौत का कारण बन जाए, यह सुनने में बड़ा अजीब सा लगता है, लेकिन इसकी कहानी जब आप जानेंगे तो हैरान हुए बिना नहीं रह पाएंगे. एक ऐसा ही टेलीफोन का किस्सा आज हम आपको बताने जा रहे हैं. यह टेलीफोन साल 1945 का बताया जाता है. साल 2017 में अमेरिका में इस फोन की नीलामी हुई थी, जिसमें यह करीब दो करोड़ रुपये में बिका था. हालांकि यह फोन किसने खरीदा था, इस बात का खुलासा नहीं किया गया है. यह टेलीफोन जर्मनी के खूंखार तानाशाह हिलटर का था. उसे दुनिया के सबसे क्रूर तानाशाहों में एक माना जाता है. मूल रूप से यह फोन काले रंग का था, जिसे बाद में लाल रंग में रंगा गया. इस फोन पर हिटलर का नाम और स्वास्तिक भी है.  

रिपोर्ट्स के अनुसार, दूसरे विश्व युद्ध के खत्म होने के बाद साल 1945 में इस टेलीफोन को बर्लिन में हिटलर के बंकर से बरामद किया गया था. तब से लेकर साल 2017 तक इस फोन को एक बक्से में संभालकर रखा गया था, जब तक कि इसकी नीलामी नहीं हुई.   हिटलर को यह फोन वेरमेच ने दिया था. कहते हैं कि 40 के दशक में इसी फोन से हिटलर दूसरे विश्व युद्ध के दौरान अपने नाजी सैनिकों को आदेश देता था और उसके बाद नाजी बंधक बनाए गए लोगों को गोली मारकर या गैस चेंबर में जलाकर मौत के घाट उतार देते थे. 

हिटलर यहूदियों का कट्टर दुश्मन था. कहते हैं कि दूसरे विश्व युद्ध के दौरान पोलैंड में हिटलर की नाजी सेना के बनाए यातना शिविरों में करीब 10 लाख लोगों ने अपनी जान गंवाई थी, जिसमें ज्यादातर यहूदी थे. नाजियों का ये यातना शिविर पोलैंड में है, जिसे 'ऑस्त्विज कैंप' के नाम से जाना जाता है.  

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