केरल उच्च न्यायालय ने कहा गलत नहीं है केंद्र सरकार का बीफ को लेकर जारी हुआ नोटिफिकेशन
केरल उच्च न्यायालय ने कहा गलत नहीं है केंद्र सरकार का बीफ को लेकर जारी हुआ नोटिफिकेशन
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कोच्चि : केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचना जारी किए जाने पर कई स्थानों पर इसका विरोध किया गया। साथ ही केरल उच्च न्यायालय में इस निर्णय के विरूद्ध याचिका दायर की गई। याचिका को लेकर मुख्य न्यायाधीश नवनीति प्रसाद सिंह की अध्यक्षता में खंडपीठ ने सुनवाई की। खंडपीठ ने इस मामले में कहा कि केंद्र की अधिसूचना में उसके हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है। अधिसूचना में बीफ का विक्रय करने और भोजन पर प्रतिबंध की बात का उल्लेख नहीं है।

न्यायालय ने कहा कि नियम में किसी तरह की वैधानिक गलती नहीं हुई है। इतना ही नहीं इसमें किसी भी तरह से संविधान का उल्लंघन नहीं हुआ है। पीठ द्वारा इस तरह की बातें कहने के बाद युवक कांग्रेस के प्रदेश सचिव एजी सुनील ने अपनी जनहित याचिका वापस ले ली। न्यायालय द्वारा कहा गया कि नियम में किसी तरह की वैधानिक चूक शामिल नहीं है। गौरतलब है कि मद्रास हाई कोर्ट की मदुरै पीठ केंद्र की अधिसूचना पर चार हफ्ते के लिए रोक लगा चुकी है।

केरल विधानसभा में केंद्र सरकार के नोटिफिकेशन का विरोध किया गया। इसके लिए विशेष सत्र बुलाया गया। मुख्यमंत्री पी विजयन ने इस मामले में कहा कि केंद्र सरकार के पास इस तरह का आदेश जारी करने का अधिकार बिल्कुल भी नहीं है। केंद्र सरकार द्वारा लागू नियम संवैधानिक तौर पर वैध नहीं है। गौ मांस को लेकर देशभर में हंगामा और न्यायालयीन कार्रवाईयां हो रही हैं जहां चेन्नई और अन्य क्षेत्रों में बीफ फेस्ट आयोजित हुए वहीं मद्रास उच्च न्यायालय ने इस मामले में सुनवाई की थी।

राजस्थान उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की गई थी जिसमें गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित किए जाने की बात कही गई थी। न्यायालय ने कहा कि गौवंश की हत्या को लेकर की जाने वाली सजा को बढ़ाकर उम्रकैद किए जाने की जरूरत है। न्यायमूर्ति महेशचंद शर्मा ने राजस्थान सरकार से यह भी कहा कि गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करने हेतु केेंद्र सरकार के साथ समन्वय की आवश्यकता है।

जस्टिस शर्मा ने अपने एक निर्णय में संविधान का उल्लेख करते हुए कहा कि गाय, बछड़ों और अन्य दूधारू व गैर दुधारू पशुओं के संरक्षण की आवश्यकता है। यह किया जाए। गौ वंश की हत्या रोकी जाए। हालांकि न्यायमूर्ति महेशचंद शर्मा की विवादित टिप्पणी भी सामने आई जिसमें राष्ट्रीय पक्षी मोर को ब्रह्मचारी होने की बात बताई गई। उन्होंने कहा कि मोर को राष्ट्रीय पक्षी इसलिए बनाया गया क्योंकि वह ब्रह्मचारी है। मोरनी मोर के आंसू पीकर गर्भवती होती है।

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