बुधवार का दिन महिलाओं के लिए विशेष रहने वाला है। महिलाऐं इस दिन निराहार और निर्जल रहकर पूजन - अर्चन करेंगी। दरअसल करवा चौथ का पर्व इस दिन मनाया जाना है। यह पर्व भारत के विभिन्न प्रांतों में बड़े जतन से मनाया जाता है। मगर विशेषतौर पर पंजाब में इसे मनाने की प्रथा है। दरअसल पंजाबियों और मालवा प्रांत के माहेश्वरी समाज में इसे मनाया जाना बेहद शुभ माना जाता है। इस दिन संकष्ट चतुर्थी होने और बुधवार होने से यह शुभ योग होगा।
महिलाऐं इस दिन सजकर दिनभर व्रत रखेंगी। साथ ही चंद्र दर्शन और पति के पूजन के बाद जल पीने और कुछ आहार ग्रहण करने के बाद यह व्रत पूर्ण होगा। शाम के समय चंद्रदर्शन बहुत ही महत्वपूर्ण होता है।
चतुर्थी के व्रत के अवसर पर पूजन की थाल 7 बार घुमाई जाती है। इस थाल को महिलाऐं एक दूसरे से बदलती हैं और 7 बार व्रत की कथा सुनाए जाने के बाद गीत गाकर थाली गोलाकार बैठी महिलाओं के पास पहुंचती रहती है इस दौरान महिलाऐं एक दूसरे की थाला का विशेष ध्यान रखती हैं।