कार्तिक मास में इन नियम को करने से प्राप्त होता है मोक्ष
कार्तिक मास में इन नियम को करने से प्राप्त होता है मोक्ष
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हिन्दू सभ्यता में कार्तिक मास को विशेष महत्त्व दिया गया है। हिन्दू गर्न्थो में कार्तिक मास के बारे में विस्तार से लिखा गया है। गर्न्थो में बताया गया है की किस तरह कार्तिक मास में पूजन और व्रत कर किस तरह मोक्ष की प्राप्ति करता है। शाश्त्रो में लिखा गया है किस तरह हम कार्तिक मास में भगवान विष्णु की आराधना कर उन्हें प्रसन्न कर सकते है। गर्न्थो में भगवन विष्णु ,नारायण, ब्रह्मा सभी के बारे में विस्तार से बताया गया है। कार्तिक मास में दीपदान को अत्यधिक महत्वता दी जाती है।

शास्त्रो में कहा गया है की किस प्रकार भगवान नारायण ने ब्रह्मा को और ब्रम्हा ने नारद को बाद नारद ने महाराज पृथु इस कार्तिक मास के बारे बताया था। शास्त्रो के अनुसार यदि हम सच्ची श्रद्धा और लगन से भगवान की आराधना करे तो श्री हरी हमें मोक्ष के द्वार तक छोड़ कर आते है। इस व्रत को करने के सात नियम इस प्रकार है

दीपदान : शास्त्रो के अनुसार कार्तिक मास में दीप दान करने से भगवान प्रसन्न होते है। कार्तिक मास में नदी, पोखर, तालाब आदि में दीपदान किया जाता है।

तुलसी पूजा : कार्तिक मास में तुलसी जी की पूजा अति लाभदायक होता है। पूजन के बाद तुलसी के सेवन से श्री हरी धाम प्राप्त होता है। वैसे तो नित्य ही तुलसी पूजा की जनि चाहिए किन्तु कार्तिक मास में तुलसी पूजा की महत्वता बाद जाती है।

भूमि पर शयन : कार्तिक मास में इस बात का विशेष प्रकार से ध्यान रखना चाहिए की आप नित्य ही अपना शयन भूमि पर ही करे।

तेल लगाना वर्जित : कार्तिक मास में अपने शरीर पर केवल एक दिन नरक चतुर्दशी के दिन ही तेल लगाये । अन्य दिन तेल का प्रयोग न करे।

दलहन (दालों) खाना निषेध : कार्तिक मास में विशेष कर मूंग, मसूर, चना, मटर, राई उड़द,आदि डालो का सेवन नहीं करना चाहिए।

ब्रह्मचर्य का पालन : इस माह में खास कर ब्रह्मचर्य का पालन करना अति आवश्यक होता है। यदि आप इस नियम का पालन नहीं करते ही तो आपको और आपकेँ पति को इस दोष से दर्शित होना पड़ता है।

संयम रखें : जो वयक्ति कार्तिक मास में उपवास रखते है उन्हें अन्य व्यक्तियों से एक तपस्वी की तरह व्यवहार करना चाहिए

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