बैंगलुरु : सुप्रीम कोर्ट के निर्देश को मानते हुए कर्नाटक सरकार ने ''गंभीर कठिनाइयों'' के बावजूद बुधवार को तमिलनाडु के लिए कावेरी का पानी छोड़ दिया. हालांकि तमिलनाडु के लिए कावेरी का पानी छोड़ने के बाद कर्नाटक में आंदोलन तेज हो गया और राज्य के किसानों और कन्नड़ समर्थक संगठनों ने मंगलवार को बेंगलुरु-मैसूरू राजमार्ग बंद कर दिया. करीब तीन घंटे तक चली सर्वदलीय बैठक के बादकर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने पत्रकारों से कहा कि कर्नाटक सरकार के समक्ष पेश आ रही गंभीर कठिनाइयों के बावजूद राज्य उच्चतम न्यायालय के निर्देशों के अनुरूप पानी छोड़ेगा.
हालाँकि उन्होंने यह भी कहा कि राज्य परिवर्तित याचिका के साथ सुप्रीम कोर्ट जायेगा और इस आदेश को लागू करने में पेश आ रही कठिनाइयों को बताते हुए इसमें बदलाव की मांग करेगा. इसके साथ ही कावेरी निगरानी समिति के समक्ष भी अपना पक्ष रखेगा. अपनी मजबूरियों का जिक्र करते हुए मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि संविधान के तहत प्रतिबद्ध राज्य के लिए उच्चतम न्यायालय को दरकिनार करना या पानी जारी करने से मना करना कठिन होगा.
उन्होंने कहा कि भारी मन के साथ यह निर्णय किया गया है कि तमिलनाडु को पानी दिया जाएगा जबकि हमारे राज्य को खुद गंभीर कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है. उन्होंने किसानों से शांति एवं व्यवस्था बनाये रखने और सार्वजनिक संपत्ति को कोई नुकसान नहीं पहुंचाने की भी अपील की, जबकि इसके विपरीत कावेरी राजनीति के केंद्र मांड्या जिले में बंद रखा गया.
प्रदर्शनकारियों ने अनेक जगहों पर सड़कें जाम कर दी और धरने दिए. कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए कावेरी क्षेत्र में केंद्रीय बल समेत सैकड़ों सुरक्षाकर्मियों को तैनात किया गया है. बता दें कि उच्चतम न्यायालय ने कर्नाटक को निर्देश दिया है कि तमिलनाडु के किसानों की दिक्कतें दूर करने के लिए वह अगले 10 दिन तमिलनाडु को 15000 क्यूसेक पानी छोड़े. इस निर्देश के बाद कावेरी पर विवाद गरमा गया.