कई जन्मों का पुण्य प्रदान करती है कामिका एकादशी
कई जन्मों का पुण्य प्रदान करती है कामिका एकादशी
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हिंदू धर्म के अनुसार श्रावण मास की कृष्णपक्ष एकादशी काफी महत्वपूर्ण माना जाती है। श्रावण मास होने के कारण यह शिव जी को बेहद प्रिय होता है। इतना ही नहीं एकादशी के दिन विशेष पूजन भी होता है। अधिकमास या फिर मलमास भी आता है। इसकी संख्या बढ़कर 26 हो जाती है। दरअसल श्रावण मास की कृष्ण पक्ष एकादशी का नाम कामिका एकादशी है। दरअसल इस एकादशी पर पूजन करने से वायपेय यज्ञ का फल मिलता है। धर्मराज युधिष्ठिर ने इस एकादशी का महात्मय सुना था और इसे भगवान श्रीकृष्ण से जाना था। कामिका एकादशी की रात्रि को दीपदान व जागरण के फल का महात्मय चित्रगुप्ता द्वारा नहीं किया जा सकता है।

इस एकादशी की रात्रि को भगवान के मंदिर में जब लोग दीया लगाते हैं तो इससे पितृओं को मुक्ति मिलती है। इस दौरान करीब सौ करोड़ दीपकों से प्रकाशित होकर उनके पितरों को सूर्य लोक का रास्ता मिलता है। माना जाता है कि इस एकादशी का व्रत करने से गंगा स्नान, काशी, नैमिषारण्य तीर्थ और पुष्कर में स्नान करने योग्य फल मिलता है।

दरअसल कुरूक्षेत्र, काशी समुद्र, वन समेत विभिन्न स्थानों पर स्नान करने से जो पुण्य प्राप्त नहीं होता वह इस एकादशी के व्रत से प्राप्त होता है। माना जाता है कि कामिका व्रत के कारण लोग कुयोनि को प्राप्त नहीं होते हैं। इस दिन दान करने, ब्राह्मणों को भोजन करवाने आदि से विशेष पुण्य मिलता है।

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