गुवाहाटी: भ्रष्टाचार और जनहित से जुड़ी समस्याओं को लेकर आवाज बुलंद करने वाली एक सामाजिक संस्था सचेतन नागरिक मंच ने कामाख्या देवोत्तर बोर्ड के सदस्यों की संपत्ति की जांच कराने और उनकी अवैध संपत्ति को जप्त करने की मांग की है। मंच ने मंदिर परिसर में व्यवसायिक उद्देश्य से बन रही अट्टालिकाओं पर रोक लगाने की भी मांग की है। मालूम हो कि पिछले मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में विश्व प्रसिद्ध शक्तिपीठ कामाख्या मंदिर के संचालन का कार्य बरदेउरी समाज के हाथों सौंपने का निर्देश दिया था।
मंच के अध्यक्ष उत्पल दास ने बृहस्पतिवार को संवाददाताओं को संबोधित करते हुए कहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने कामाख्या देवोत्तर बोर्ड को अवैध घोषित करते हुए मंदिर परिसर और संपत्ति पर से कब्जा खाली करने करने का निर्देश दिया है। जिससे साबित हो गया है कि बोर्ड के लोगों की नियत साफ नहीं थी। इसलिए बोर्ड की गतिविधियां पिछले 10 सालों में किस तरह की रही इसकी जांच होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि अब इस बात की जरूरत है कि राज्य सरकार जांच करवा कर पता करे कि बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट में पैरवी के लिए जानेमाने अधिवक्ताओं जिनकी फीस 30 से 50 लाख रुपए है, कहां से दिए साथ ही बोर्ड के सदस्यों के पास लक्जरी वाहन कहां से आएऔर उन्होंने पिछले 10 सालों में कितनी नामी-बेनामी संपत्ति बनाई है।
यदि मंदिर के धन का दुरूपयोग करके संपत्ति अर्जित की गई है तो उसे जप्त किया जाना चाहिए। दास ने मंदिर परिसर में बन रहे बड़े भवनों और उसके व्यवसायिक उपयोग पर आपत्ति जताते हुए कहा कि कामाख्या मंदिर परिसर में भवन बनाने का परमिशन आखिर किस प्रकार दिया गया यह जांच का विषय है। क्योंकि नियम के अनुसार मंदिर परिसर या उसकी संपत्ति का उपयोग व्यवसायिक उद्देश्य से नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में हुई आपदा को देखते हुए मंदिर परिसर में अट्टालिका बनाने पर तुरंत रोक लगाई जानी चाहिए। दास ने नगर के मंदिरों के साथ खासकर आठगांव स्थित कब्रिस्तान की जमीन का व्यवसायिक उपयोग और उसके जमीन पर लगातार हो रहे अतिक्रमण की ओर भी जिला प्रशासन का ध्यान आकृष्ट कराते हुए कहा कि धार्मिक स्थानों की जमीन पर व्यवसायिक गतिविधियां बंद करने के लिए प्रशासन को कड़े कदम उठाने चाहिए।