गेसू-ए-ताबदार को और भी ताबदार कर होश-ओ-ख़िरद शिकार कर, कलब-ओ-नज़र शिकार कर इशक भी हो हिजाब में, हुस्न भी हो हिजाब में या तो ख़ुद आशकार हो या मुझे आशकार कर तू है मुहीत-ए-बेकरां, मैं हूं ज़रा सी आबजू या मुझे हमकिनार कर, या मुझे बेकिनार कर मैं हूं सदफ़ तो तेरे हाथ मेरे गुहर की आबरू मैं हूं ख़ज़फ़ तो तू मुझे गौहर-ए-शाहसवार कर बाग़-ए-बहशत से मुझे हुकम-ए-सफ़र दीया था कयूं कार-ए-जहां दराज़ है अब मेरा इंतज़ार कर रोज़-ए-हसाब जब मेरा पेश हो दफ़तर-ए-अमल आप भी शरमशार हो, मुझ को भी शरमशार कर