जार्डन : मुखर्जी ने 86 करोड़ डॉलर के संयंत्र का उद्घाटन किया
जार्डन : मुखर्जी ने 86 करोड़ डॉलर के संयंत्र का उद्घाटन किया
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अम्मान: जार्डन के ऐतिहासिक दौरे पर शनिवार को यहां पहुंचे राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने 86 करोड़ डॉलर की लागत से निर्मित भारत-जार्डन उवर्रक संयंत्र का जार्डन के शाह अब्दुल्ला (द्वितीय) इब्न अल हुसैन के साथ उद्घाटन किया। यह संयंत्र एक साल से कम समय में बनकर तैयार हुआ है। राष्ट्रपति मुखर्जी यहां एयर इंडिया की उड़ान से दोपहर पहुंचने के कुछ देर बाद ही शाह के महल से इस संयंत्र का रिमोट के जरिए उद्घाटन किया गया।

अधिकारियों ने बताया कि भारतीय उर्वरक कंपनी इफको और जार्डन के फास्फेट्स माइन कंपनी ने इस संयंत्र के लिए 2008 में एक संयुक्त उद्यम कंपनी जार्डन इंडिया फर्टिलाइजर कंपनी बनाई। संयुक्त उद्यम में इफको की हिस्सेदारी 52 प्रतिशत है। इस संयंत्र से प्रति वर्ष 450 करोड़ टन सल्फ्यूरिक एसिड और 150 करोड़ टन फास्फेरिक एसिड के उत्पादन का अनुमान है। राष्ट्रपति का इससे पहले यहां पारंपरिक स्वागत किया गया और राष्ट्रपति भवन के सामने उन्हें 21 तोपों की सलामी दी गई। इसके बाद वह शाह अब्दुल्ला (द्वितीय) इब्न अल हुसैन के साथ वार्ता में व्यस्त हो गए।

वार्ता के बाद दोनों नेताओं ने इंडो-जर्मन उवर्रक संयंत्र का संयुक्त रूप से उद्घाटन किया। इस संयंत्र से कच्चे माल का उत्पादन किया जाएगा। इसमें फास्फोरिक एसिड और सल्फ्यूरिक एसिड प्रमुख हैं। यहां पहुंचने से पहले राष्ट्रपति ने कहा, "दोनों देशों के क्षेत्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय मुद्दे मिलते-जुलते हैं और दोनों सीरिया के साथ ही मध्य पूर्व में शांति प्रक्रिया का समर्थन करते हैं।" उन्होंने कहा कि दोनों देश उग्रवाद और आतंकवाद के सभी रूपों की निदा करते हैं और धार्मिक सौहार्द्र में भरोसा करते हैं। राष्ट्रपति के इस दौरे के दौरान व्यापार एवं निवेश पर भी जोर है। उन्होंने कहा कि दोनों देश द्विपक्षीय व्यापार को पांच अरब डॉलर करना चाहते हैं। अभी दोनों देशों के बीच व्यापार दो अरब डॉलर है।

प्रणब मुखर्जी ने जिस संयंत्र का उद्घाटन किया, उससे भारत 30 करोड़ टन फास्फोरिक एसिड का आयात करेगी। भारत बड़ी मात्रा में पोटाश एवं फास्फेट जार्डन से हासिल करता है। भारत और जार्डन ने 1947 में सामंजस्य के लिए द्विपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर किया था, हालांकि इसे औपचारिक रूप 1950 में दिया गया जब पूर्ण कूटनीतिक संबंध दोनों देश के बीच बने। शाह अब्दुल्ला और बेगम रानिया ने अक्टूबर 2012 में भारत का दौरा किया था। राष्ट्रपति के इस दौरे से पूर्व करीब 30 साल पहले तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने इस देश का दौरा किया था।

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