जिधर मुड़ जायें उधर डगर बना लेते हैं
जिधर मुड़ जायें उधर डगर बना लेते हैं
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दर्दे दिल को हम अल्फाजों मे मिला लेते हैं ।
अपनी नाकामियों को गजल बना लेते हैं ।।

हम हैं बंजारा कहां अपना आशियां कोई ।
जहां थम जायें वहीं बसर बना लेते हैं ।।

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