झुलस कर जल न जाऊं
झुलस कर जल न जाऊं
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तेरे तेवर की गर्मी से, झुलस कर जल न जाऊं मैं
जरा पलकें झुकाकर के सुहानी शाम होने दो ।
मुझे दिल में बसाते हो, मेहंदी में छुपाते हो
यूं ही अपनी मोहब्बत का चर्चा आम होने दो ॥

चंद मिनटों में क्या मिलना, पल दो पल में हो क्या बातें
जिक्र रूमानी बातों का आठों याम होने दो ।
मिलायी नजर से नजरें, दिलों से दिल मिलायें हैं
देकर हाथ हाथों में रस्में तमाम होने दो ॥

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