गुमला: कहने के लिए तो जेल अपराधियो को सुधारने का घर कहा जाता है. अपराधी सजा काट कर जब बाहर निकलते हैं तो समाज की मुख्य धारा से जुड़ कर नया जीवन जीने की कोशिश करते हैं. जिससे अपराधी समाज के बीच अपनी बुरी आदतों को छोड़ कर अपने नव जीवन को खुशहाल बना सके. किन्तु जेल बन्द कैदी और उनकी सुरक्षा में तैनात जवान तथा पुलिस पदाधिकारी की कुरुरता का दंश झेलने को विवश है.
ताजा मामला गुमला में स्थित कारा मंडल से सामने आया है. जहां सरजामा गांव के रहने वाले 20 वर्षीय तुलसी उरांव की जेल में मौत हो गई है. उल्लेखनीय है कि विचारधीन कैदी को सुधारने के लिए कारा का इंतज़ाम सरकार ने कर रखा है और समय समय पर संस्था ओर अदालत के जरिए बंद कैदी को कानून की जानकारी देकर और भी जागरूक किया जाता है. वहीं इस तरह की घटना से यह बात पता चलती है कि जेल प्रशासन मूकदर्शक बन कर केवल तमाशा देखने का काम करता है.
आपको बता दें कि मृतक तुलसी उरांव करीब चार माह पूर्व गांव के मुन्ना उरांव के हत्या के आरोप में जेल गया था. जिसके बाद शुक्रवार को देर रात रहस्यमयी रूप से उसकी मौत हो गई है. वहीं, सूत्रों की मानें तो बन्द कैदी तुलसी के साथ जेल के भीतर मारपीट की गई है. जिससे उसकी मृत्यु हो गयी है.
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