ये नया भारत है. तेजी से बदलते वर्ल्ड ऑर्डर में भारत आज 'विश्व मित्र' की भूमिका में आगे बढ़ता हुआ दिखाई दे रहा है... जब पीएम नरेंद्र मोदी यह बात बोलते हैं तो उसके अपने मायने होते हैं. यह इंडिया का बढ़ता कद है कि संयुक्त राष्ट्र में वीटो पावर न होने के बावजूद वैश्विक संकट के समाधान के लिए विश्व इंडिया की तरफ भी देख रही है. वह रूस-यूक्रेन का युद्ध हो, तेल संकट, इजरायल-हमास संघर्ष या हाल में पैदा हुआ लाल सागर का तनाव. बीते 24 घंटों के घटनाक्रम पर ही गौर करें तो समझ में आता है कि इंडिया की वैश्विक कूटनीति किस तरह सक्रीय है.
समंदर में सनसनी: फिलहाल लाल सागर से गुजरने वाले कॉमर्शियल जहाजों पर हूती विद्रोहियों के अटैक का खतरा बना हुआ है. ये विद्रोही यमन के हैं जिसे ईरान का समर्थन भी प्राप्त कर लिया है. गाजा में इजरायल के हमले के विरोध में हूती लाल सागर में उसे और उसके सहयोगी देशों को निशाना बनाते हुए दिखाई दे रहे है. जवाब में अमेरिका- UK की तरफ से यमन में हूतियों के ठिकानों पर अटैक भी हुए हैं. इंडिया से सटे अरब सागर में तनाव का असर होना लाजिमी है. ऐसे में पिछले 24 घंटे में एक तरफ दिल्ली में बैठे पीएम नरेंद्र मोदी ने रूस के राष्ट्रपति को फोन तक मिला दिया था. दूसरी तरफ तेहरान में उनके 'मिसाइल मिनिस्टर' विदेश मंत्री जयशंकर ईरान के राष्ट्रपति और अपने समकक्ष से मिल रहे थे.
ईरान में जयशंकर की दो टूक: तेहरान जाकर जयशंकर ने साफ बोला है कि लाल सागर की सुरक्षा अहम है और मौजूदा समुद्री खतरे से जल्द निपटा जाना जरुरी है. लाल सागर- स्वेज नहर वाला रूट दुनिया के सबसे व्यस्त व्यापारिक रूट में से एक है. इंडिया को भी जहाजों का रूट बदलना पड़ा है और 95 प्रतिशत जहाजों को केप ऑफ गुड होप के रास्ते भेजा जाने लगा है. इससे माल भाड़ा बढ़ने के साथ ही सफर में लगने वाला समय बढ़ गया है. उधर, कतर ने लाल सागर से होकर LNG टैंकरों को भेजने से साफ़ इंकार कर दिया है. आशंका जताई जा रही है कि इस फैसले से एलएनजी लाने का खर्च बढ़ सकता है.
अमेरिका, भारत, ईरान ऐक्टिव: जयशंकर ने ईरान के नेतृत्व से बोला है कि भारत के आसपास जहाजों पर हमले इंटरनेशनल समुदाय के लिए गंभीर चिंता का विषय हैं. उन्होंने यह भी बोला है कि ऐसे खतरों का भारत की ऊर्जा जरूरतों और आर्थिक हितों पर सीधा असर पड़ता है. वह तेहरान ऐसे वक़्त में गए हैं जब चार दिन पहले ही उन्होंने लाल सागर संकट पर अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन से फोन पर चर्चा की थी.
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