सऊदी के मुस्लिम नेता के सामने NSA डोभाल ने दी नसीहत, जानिए क्या कहा?
सऊदी के मुस्लिम नेता के सामने NSA डोभाल ने दी नसीहत, जानिए क्या कहा?
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नई दिल्ली: मुस्लिम वर्ल्ड लीग के महासचिव एवं सऊदी अरब के पूर्व न्याय मंत्री मोहम्मद बिन अब्दुलकरीम अल-ईसा के भारत दौरे पर हैं। मंगलवार को इस्लामिक कल्चर सेंटर के एक प्रोग्राम में अल-ईसा के साथ भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल भी उपस्थित थे। इस प्रोग्राम में डोभाल ने कहा कि आतंकवाद किसी भी धर्म से जुड़ा नहीं है। ऐसे में आध्यात्मिक एवं धार्मिक नेताओं का कर्तव्य है कि हिंसा का मार्ग अपनाने वाले लोगों को काउंटर करें। इवेंट के चलते धार्मिक नेताओं, स्कॉलर्स एवं राजनयिकों को संबोधित करते हुए अजित डोभाल ने कहा, "आतंकवाद किसी भी धर्म से जुड़ा नहीं है। वह तो लोग होते हैं जिन्हें गुमराह कर दिया जाता है। ऐसे में संभवतः आध्यात्मिक एवं धार्मिक नेताओं का यह कर्तव्य है कि वह उन लोगों का मुकाबला प्रभावी तरीके से करें जिन्होंने हिंसा का रास्ता चुना है। वह व्यक्ति किसी भी धर्म, विश्वास या राजनीतिक विचारधारा से संबंधित हो सकता है। वैश्विक आतंकवाद की चुनौतियों का उल्लेख करते हुए अजीत डोभाल ने कहा, "देश की सीमाओं के अंदर और बाहर सुरक्षा और स्थिरता को बनाए रखने के लिए भारत उन लोगों एवं संगठनों के खिलाफ लड़ाई का नेतृत्व कर रहा है, जो उग्रवाद, नशीले पदार्थों एवं आतंकवाद को बढ़ावा दे रहे हैं। प्रोग्राम के चलते उन्होंने यह भी कहा कि भारत में कोई भी धर्म खतरे में नहीं है। भारत एक समावेशी लोकतंत्र के तौर पर अपने सभी नागरिकों को उनकी धार्मिक, जातीय या सांस्कृतिक पृष्ठभूमि की परवाह किए बिना उनका सम्मान करने में कामयाब रहा है। एक गौरवशाली देश के रूप में भारत वक़्त की चुनौतियों से निपटने के लिए सहिष्णुता, संवाद एवं सहयोग को बढ़ावा देने में विश्वास करता है। यह कोई संयोग नहीं है कि तकरीबन 20 करोड़ की मुस्लिम आबादी के बाद भी वैश्विक आतंकवाद में भारतीय नागरिकों की हिस्सेदारी अविश्वसनीय रूप से कम रही है।

उन्होंने यह भी कहा कि भारत में उपस्थित कई धर्मों के बीच इस्लाम भी एक अद्वितीय और महत्वपूर्ण स्थान रखता है। भारत में दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी मुस्लिम आबादी रहती है। भारत में मुसलमानों की आबादी इस्लामिक सहयोग संगठन के तकरीबन 33 देशों की कुल आबादी के बराबर है। ऐसा इसलिए संभव हो पाया क्योंकि भारत ने विश्व के सभी विचारों, धर्मों एवं संस्कृतियों को खुले दिल से स्वागत किया। भारत दुनिया के सभी धर्मों को सताए हुए लोगों के लिए एक घर के रूप में उभरा। 1979 में सऊदी अरब के मक्का में ग्रैंड मस्जिद पर हुए आतंकवादी हमले का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि कैसे इस घटना ने आतंकवाद को लेकर सऊदी अरब का नजरिया बदल दिया। इस हमले के कारण आतंकवाद के मुद्दा एक बार फिर से सामने आया तथा सऊदी अरब को अपने सुरक्षा उपायों एवं विदेश नीति का पुनर्मूल्यांकन करने के लिए विवश होना पड़ा। 20 नवंबर 1979 को इस्लाम की पवित्र जगहों में से एक मक्का में दुनियाभर से लाखों के आंकड़े में मुस्लिम इकट्ठा हुए थे। सुबह की नमाज खत्म होते ही मस्जिद में पहले से उपस्थित सैकड़ो हथियारबंद लोगों ने धावा बोलकर लाखों लोगों को बंधक बना लिया था। हथियारबंद लोगों ने 14 दिन तक लोगों को बंधक बनाए रखा। सऊदी सरकार को हमलावरों के विरुद्ध पवित्र अल हरम मस्जिद में सैन्य कार्रवाई करनी पड़ी।

फ्रांस एवं पाकिस्तान ने सऊदी अरब की सहायता के लिए कमांडो टीम भेजा। 14 दिन की सैन्य कार्रवाई के पश्चात् 4 दिसंबर को यह लड़ाई समाप्त हुई। इस सैन्य कार्रवाई में सैकड़ों हमलावर मारे गए। जिंदा बचे हमलावरों ने आत्मसमर्पण कर दिया। सऊदी सरकार ने 63 व्यक्तियों को गिरफ्तार कर 9 जनवरी 1980 को सार्वजनिक रूप से सार्वजनिक रूप से मौत की सजा दी। माना जाता है कि इस सैन्य कार्रवाई के पश्चात् सऊदी अरब की सूरत ही बदल गई। अपने संबोधन में इल-ईसा ने कहा कि भारत के मुसलमानों को भारतीय होने पर गर्व है। भारत दुनिया में सह-अस्तित्व का सबसे बेहतरीन उदाहरण है। उन्होंने कहा, "हम जानते हैं कि मुस्लिम भारत की विविधता का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। भारत के मुस्लिमों को अपने भारतीय होने पर गर्व है। धर्म सहयोग का एक माध्यम हो सकता है। हम समझ विकसित करने के लिए हर किसी से बात करने को तैयार हैं। भारत ने इंसानियत के लिए बहुत कुछ किया है।" मुस्लिम वर्ल्ड लीग के महासचिव ने भारत के गौरवशाली इतिहास की प्रशंसा करते हुए कहा कि संस्कृतियों के बीच संवाद स्थापित करना समय की मांग है। हम भारत के इतिहास और विविधता की प्रशंसा करते हैं। संस्कृतियों के बीच संवाद स्थापित करना वक़्त की मांग है। विविधता संस्कृतियों के बीच बेहतर रिश्ते कायम करती है। खुसरो फाउंडेशन की तरफ से आयोजित इस प्रोग्राम में अखिल भारतीय सूफी सज्जादानशी परिषद के अध्यक्ष सैय्यद नसीरुद्दीन चिश्ती, पूर्व डिप्टी NSA पंकज सरन, पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एस वाई कुरैशी के साथ-साथ मुस्लिम बहुल देश मलेशिया, ईरान, ओमान, जॉर्डन और मिस्र के राजनयिक भी सम्मिलित थे।

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