रोते हुए इरोम शर्मिला ने तोड़ा 16 वर्षो का अनशन, कहा सीएम बनना चाहती हूं मणिपुर की
रोते हुए इरोम शर्मिला ने तोड़ा 16 वर्षो का अनशन, कहा सीएम बनना चाहती हूं मणिपुर की
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इंफाल। बीते 16 वर्षो से सरकार के खिलाफ अनशन पर बैठी 44 वर्षीय इरोम चानू शर्मिला ने आज रोते हुए अपना 16 वर्षीय वनवास खत्म कर दिया। इरोम को इंफाल की अदालत के समक्ष पेश किया गया, जहां से उन्हें 10 हजार के निजी मुचलके पर रिहा कर दिया गया। सशस्त्र बल विशेषाधाकिर कानून (अफ्सपा) की हटाने की मांग को लेकर जानी-मानी मानवाधिकार कार्यकर्ता इरोम ने पहले ही भूख हड़ताल खत्म करने का ऐलान किया था।

अपना अनशन खत्म करने के बाद आयरन लेडी ने कहा कि मुझे आजाद किया जाए। मुझे अजीब महिला की तरह देखा जाता है। सब कहते है राजनीति गंदी है, तो समाज भी तो गंदा ही है। मैं सरकार के खिलाफ चुनाव लड़ुंगी। मैंने महात्मा गांधी के सिद्धांतो पर चलने का प्रयास किया। मेरा जमीर इतने दिनों से कैद था, लेकिन अब मुझे आजाद होना होगा।

उन्होने कहा कि मैं मणिपुर की मुख्यमंत्री बनना चाहती हूं। चुनाव लड़ूंगी। इरोम ने कहा कि 16 साल तक भूख हड़ताल पर रहने के बाद कुछ नहीं मिला। अब मैं नए सिरे से शुरुआत करुंगी। कोर्ट में हाजिर होने पर जज ने इरोम को भविष्य के लिए बेस्ट ऑफ लक कहा। इरोम द्वारा अनशन खत्म किए जाने को लेकर कुछ लोग खफा है, तो कुछ खुश।

एक वर्ग का मानना है कि भूख हड़ताल का मकसद एक कठोर कानून को खत्म कराना था। इसलिए इसे खत्म नहीं करना चाहिए। दूसरा वर्ग इसे उनका निजी मामला बताते हुए खुश है। अनशन के समापन के बाद इरोम अपनी 94 वर्षीय मां के साथ रहेंगी। इरोम अपने 9 भाई-बहनों में सबसे छोटी है। इरोम की मां ने कहा कि वो कोई भी फैसला लेने से पहले मेरा आशीर्वाद लेने आती है।

इरोम की मां अपने बेटे सिंहाजीत के साथ ही रहती है। सिंहाजीत भी सेव शर्मिला कैंपेन नाम से एक एनजीओ चलाते है। इस मामले में उन्होने कुछ भी कहने से इंकार कर दिया। लेकिन उन्होने इतना जरुर कहा कि इरोम के पास रहने के लिए सात घर है।

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