अमेरिका के इराक हमले को लेकर सामने आई रोचक जानकारी
अमेरिका के इराक हमले को लेकर सामने आई रोचक जानकारी
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इराक : इराक युद्ध की जांच करने वाली चिलकाॅट कमिटी ने अपनी रिपोर्ट पेश की। इस दौरान चिलकाॅट कमेटी ने कहा कि अमेरिका द्वारा इराक पर हुए हमले में ब्रिटेन की सहभागिता अपुष्ट तौर पर थी। दूसरी ओर युद्ध के पूर्व शांतिपूर्ण कूटनीतिक विकल्प पर किसी तरह का विचार नहीं हुआ। दरअसल ब्रिटिश प्रधानमंत्री टोनी ब्लेयर ने इराक के पूर्व राष्ट्रपति सद्दाम हुसैन से जुड़े संभावित खतरों को बढ़ाकर प्रस्तुत किया गया। दरअसल ब्रिटिश प्रधानमंत्री टोनी ब्लेयर ने पूर्व इराकी राष्ट्रपति सद्दाम हुसैन से संभावित खतरों को बढ़ाकर प्रस्तुत किया गया था।

दूसरी ओर इस बात की संभावनाऐं दर्शाई गई थीं जिसमें सभी तथ्यों को किसी तरह का आधार होने के बिना तैयार किया गया था। ब्रिटिश प्रधानमंत्री टोनी ब्लेयर ने इस मामले में इराक के राष्ट्रपति सद्दाम हुसैन से संभावित खतरों को लेकर कहा कि इस तरह की आशंकाऐं पूरी तरह से बेबुनियाद हैं। रिपोर्ट में यह कहा गया कि जो भी तथ्य सामने आया है। उसमें यह कहा गया कि युद्ध में शामिल होने के ब्लेयर के निर्णय का दस्तावेज मौजूद नहीं है।

इस मामले में जो सबूत मिले हैं उससे यह जानकारी मिलती है कि तत्कालीन ब्रिटिश प्रधानमंत्री अमेरिकी राष्ट्रपति जाॅर्ज बुश के प्रभाव में थे। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र और अंतर्राष्ट्रीय जनमत की अपेक्षा की गई। ऐसे में हमले को लेकर निर्णय भी लिया गया। दरअसल युद्ध में सैनिकों सहित करीब ढाई लाख से अधिक लोग मारे गए हैं। ऐसे में घायलों, विकलांगों और मानसिक आघात झेल रहे सैनिकों व नागरिकों की संख्या काफी है। इस तरह की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि हमले की परिणति गृह युद्ध और आतंक के तौर पर हो सकती है

मगर उन्होंने इसे लेकर किसी तरह की पहल नहीं की है। उनका यह भी कहा था कि युद्ध में ब्रिटेन का 11.83 अरब यूरो खर्च हो गया। मगर युद्ध में जाने से पहले खर्च का कोई आंकलन मंत्रियों से साझा नहीं किए जाने की बात कही गई। सबूतों से मिली जानकारी के अनुसार यह जानकारी मिली है कि ब्रिटिश प्रधानमंत्री अमेरिकी राष्ट्रपति जाॅर्ज बुश के प्रभुत्व में थे। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र और अंतरराष्ट्रीय जनमत की उपेक्षा करते हुए हमले का निर्णय भी किया था। इस तरह के युद्ध में सैनिकों सहित 2.5 लाख से अधिक लोगों की मौत हो गई है।

दरअसल घायलों, विकलांगों और मानसिक आघात झेल रहे सैनिकों व नागरिकों की संख्या अधिक है। इस तरह की रिपोर्ट में यह बात कही गई है कि ब्लेयर को इस मामले में सावधान किया गया था। इस तरह के हमले की परिणति गृह युद्ध की तरह बताई गई है। इस तरह के हालात आतंक के तौर पर भी हो सकते हैं। इस बारे में उन्होंने कहा कि यह कोई आधारभूत पहल नहीं है।

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